धरती कब तक घूमेगी सावर दईया प्रश्न उत्तर संपूर्ण बिहार बोर्ड कक्षा 10 वर्णिका पाठ 5
वर्णिका भाग 2 कक्षा 10 | पाठ -5 धरती कब तक घूमेगी | Subjective Question Bihar Board Matric Exam 2024
वर्णिका भाग 2 कक्षा 10 | पाठ -5 धरती कब तक घूमेगी : मैट्रिक परीक्षा 2024 के लिए यहां पर आपको धरती कब तक घूमेगी पाठ का महत्वपूर्ण प्रश्न दिया गया है। जो आपके कक्षा दसवीं बोर्ड परीक्षा में पूछे जा सकते हैं। तो अगर आप इस बार मैट्रिक बोर्ड परीक्षा देने वाले हैं तो नीचे दिए गए प्रश्न को जरूर पढ़ें। धरती कब तक घूमेगी सब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर बिहार बोर्ड मैट्रिक परीक्षा 2024 के लिए यहां पर किया गया है। Dharti kab tak ghumegi objective question धरती कब तक घूमेगी का ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन new education point.
1 सीता अपने ही घर में क्यों घुटन महसूस करती है
उत्तर :- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक वर्णिका भाग 2 से लिया गया है पाठ का नाम धरती कब तक घूमेगी और लेखक का नाम सावर दइया है सीता के तीन पुत्रों ने नियम बनाया की मां बड़ी-बड़ी से एक महीना सबके यहां रहेगी खाना के लिए उसे इधर-उधर प्रत्येक महीना करना पड़ता है और उस पर भी झगड़ा शांति नहीं है बेटे मां को बोझ समझने लगे थे।
मां को यह एहसास हो गया इसलिए सीता को अपने घर में घुटन महसूस हो रही थी।
2 पाली बदलने पर अपनी दादी मां के खाने को लेकर बच्चों की खुश होते हैं जबकी, उनके माता-पिता नाखुश । बच्चे की खुशी और माता- पिता की नाखुशी के कारणों पर विचार करें।
उत्तर :-प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक वर्णिका भाग 2 से लिया गया है पाठ का नाम धरती कब तक घूमेगी और लेखक का नाम सावर दइया है बच्चे नादान होते है बच्चो को जो प्यार करता है ।
बच्चो के लिए प्यारा होता है दादी मां बच्चो का ख्याल करती है साथ खाना खाती है कुछ सिखाती है और उनका मनोरंजन भी करती है अंतः बच्चो को दादी मां के पास रहने पर बच्चो को खुशी होती बच्चो के माता-पिता को बोझ महसूस होती है वे सोचते है कि मां को समय पर खाना देना पड़ता है बूढ़ापा आने के कारण उनके स्वस्थ पर भी ध्यान देना पड़ता है ।
3 इस समय उसकी आँखों के आगे न तो अँधेरा था और न ही उसे धरती और आकाश के बीच घुटन हुई।’ सप्रसंग व्याख्या करें।
उत्तर :-प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक वर्णिका भाग 2 से लिया गया है पाठ का नाम धरती कब तक घूमेगी और लेखक का नाम सावर दइया है सीता जब घर छोड़ कर चली गई तो उसने हिम्मत आ गई वह सोचने लगी की कही भी काम कर के दो वक्त की रोटी प्रेम पूर्वक खा सकती है संसार इतना बड़ा है कि काम मिल जाएगा यह सोच आगे का भविष्य साफ दिखने लगा मोह- माया खत्म हो गया घर की घुटन से आजादी मिल गई।
4 सीता का चरित्र चित्रण करें ।
उत्तर :- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक वर्णिका भाग 2 से लिया गया है पाठ का नाम धरती कब तक घूमेगी और लेखक का नाम सावर दइया है सीता सहनशील औरत है सीता में हिम्मत हिम्मत है।
सीता को बच्चों से लगाव है
वह बच्चों को बहुत प्यार करते हैं बच्चों को किस प्रकार रखना वह जानती है वह अपने बेटों से कभी अपनी इच्छा जाहिर नहीं करती शांत स्वभाव की औरत झगड़ा पसंद नहीं है। मान -मर्यादा के साथ रहने वाली औरत है।
भिखारिन वाली जिंदगी नहीं जीना चाहती हैं। बच्चों में घुलमिल कर साथ-साथ रहने वाली औरत है अपने पति को चाहने वाली है अपना कोई मजदूरी दे यह उसे बर्दाश्त नहीं है दूसरे की यहां मजदूरी कर ले।
5 कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट करे।
उत्तर :- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक वर्णिका भाग 2 से लिया गया है पाठ का नाम धरती कब तक घूमेगी और लेखक का नाम सावर दइया है कहानी का शीर्षक धरती कब तक घूमेगी मतलब की धरती पर बूढी औरत मां को बेटा और बहू घर का बेकार सदस्य कब तक समझते रहेंगे।सीता अपने बेटों और उनसे अधिक बहुओं का विष सहते-सहते परेशान हो जाती है। उसे अपना पूर्व का जीवन स्मरण आ जाता है। उसने आकाश की ओर दृष्टि उठाकर देखी और फिर पृथ्वी की ओर देखकर महसूस किया कि पृथ्वी और आकाश के बीच घुटन भरी हुई है। दो रोटियाँ ही सबकुछ नहीं, इनके अलावे भी तो कुछ है और वही अलावा वाली इच्छाएँ ही तो दुख भोगने को बाध्य करती हैं। सीता को आशा है कि धरती घूमेगी, पर कब तक घूमेगी? अतः यह शीर्षक सार्थक है।
6 कहानी का सारांश प्रस्तुत करें।
उत्तर :- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक वर्णिका भाग 2 से लिया गया है पाठ का नाम धरती कब तक घूमेगी और लेखक का नाम सावर दइया है साँवर दइया राजस्थानी भाषा के सफल कहानीकार हैं। इनकी कहानियों राजस्थानी समाज के गहरे अर्थबोध एवं विविध घटाओं का चित्रण मिलता है। धरती कब तक घूमेगी इस कहानी में कहानीकार ने सामाजिक मूल्यों एवं उसकी मार्मिकता प्रस्तुत किया है। एक माँ अपनी संतान के लिए सबकुछ अर्पण कर देती है किन्तु वही संतान उस माँ को बोझ समझने लगती है कहानी बहुओं के द्वारा उपेक्षित होने पर भी माँ उनकी शिकायत नहीं करती है। इस कहानी की प्रधाननायिका सीता अपने पति के मरने के बाद आशान्वित होती है कि उसको तीन बेटे हैं। कोई-न-कोई उसके जीवनरूपी नौका को पार कर देगा। किन्तु विधि के विधान को कौन टाल सकता है। माँ उनके लिए बोझ बन जाती है। पाली बाँधकर उसका भरण-पोषण करते हैं। एक दिन ऐसा भी समय आ जाता है कि ये नियम भी भंग हो जाते हैं।अब वे पचास-पचास रुपये प्रतिमास खर्च में देंगे। पहले से घुटन भरे जीवन जीने वाली सीता अपने बेटों के निर्णय से विक्षुब्ध हो जाती है। अपना ही उसे पराया लगने लगता है। एक दिन रात्रि में चुपके से घर से निकल जाती है। वह मेहनत-मजदूरी कर अपने जीवन का निर्वहण कर लेगी किन्तु अपने बेटों पर बोझ नहीं बनेगी। वस्तुतः कहानीकार यहाँ बताना चाहता है कि उन बेटों को भी अपनी संतानें हैं किन्तु शायद वे नहीं जानते हैं कि उनकी भी यही गति होने वाली है जो वे अपनी माँ की कर रहे हैं। यहीं पर कहानी खत्म होती है।
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Vikram kumar