1 है भूल करना प्यार भी ,
है भूल यह मनुहार भी,
पर है सबसे बड़ी ,
करना किसी का आसरा,
मानव बनो मानव जरा।
भावार्थ: - प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्य पुस्तक किसलय लिया गया है पाठ के लेखक का नाम शिव मंगल सिंह " सुमन" है। प्रस्तुत कविता में लेखक ने इंसान को स्वयं पर भरोसा करने की सीख दी है।
कवि कहता है कि इंसान से कई प्रकार की भूल होती रहती है और उसकी कुछ अच्छी कार्यों को लोग भूल जाते हैं जैसे ही प्यार करना किसी से किसी रूठे को मानना लेकिन इंसान की सबसे बड़ी भूल तो यह है कि वह अपने द्वारा किए गए कार्यों के लिए दूसरों का सहारा लेता है यह मानव की सबसे बड़ी राह में बाधक है मानव की सबसे बड़ी भूल है मानव या इंसान अपनी शक्तिशाली स्वरुप को याद करने की जरूरत है क्योंकि मानव बनो कविता कहता है।
2 अब अश्रु दिखलाओ नहीं,
अब हाथ फैलाओ नहीं
हुंकार कर दो एक जिससे,
थरथरा जाए धरा,
मानव बानो, मानव जरा।
भावार्थ: - प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्य पुस्तक किसलय लिया गया है पाठ के लेखक का नाम शिव मंगल सिंह " सुमन" है। प्रस्तुत कविता के माध्यम से कवि लोगों को लाचार नहीं बने रहने के लिए कहता है
किसी के समक्ष इस हेतु हाथ फैलाने को नहीं कहता है।
किसी से मदद की उम्मीद भी नहीं रखना चाहता है
बल्कि वह विध्वंसकारी भ्रष्टाचारी शक्तियों के खिलाफ लोगों के ललकारते हुए स्वयं को उठकर खड़ा होने के लिए कहता है।
लोगों को अपने अंदर की असीम शक्तियों को पहचानना चाहिए और सही मायने में इंसान बनना चाहिए
जिसके जीवन का मकसद एक है किसी महान कार्य के लिए अपना जीवन सर्वत्र समर्पण कर देना चाहिए यही कवि कहता है।
3 उफ हाय कर देना कहीं,
शोभा तुम्हें देता नहीं,
इन आंसुओं से सींचकर कर दो ,
विश्व का कण - कण हरा,
मानव बनो, मानव जरा।
भावार्थ: - प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्य पुस्तक किसलय लिया गया है पाठ के लेखक का नाम शिव मंगल सिंह " सुमन" है। कवि लोगों को कहते हैं।
की हार नहीं मानना चाहिए मेहनत संघर्ष से कभी जी को नहीं चुराना चाहिए और कभी हार भी नहीं मानना चाहिए लोगों को शोभा नहीं देता है।
संघर्ष की राहों में आने वाले बाधाओं को सोचकर हार न मान लेना मनुष्य को नहीं शोभा देता है ।
बल्कि उन्हें तो अपने मानव स्वरूप को याद करना चाहिए जो इस पृथ्वी पर उन्हें सृजन किया गया है ।
सबसे श्रेष्ठ बनाया गया है और कठिन परिश्रम कर इस दुनिया को बदलने की चाहत में रखी गई है यह चारों ओर खुशहाली और शांति का वातावरण करने के लिए उन्हें मानव बनाया गया हैं।
4 अब हाथ मत अपने मलो,
जलना, अगर ऐसे चलो,
अपने हृदय की भस्म से ,
कर दो धरा को उर्वरा,
मानव बनो, मानव जरा।
भावार्थ:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्य पुस्तक किसलय लिया गया है पाठ के लेखक का नाम शिव मंगल सिंह " सुमन" है। इस पंक्ति के माध्यम से क्रांतिकारी परिवर्तन के लिए हमें तत्पर रहने के लिए प्रेरणा देते हैं।
वे कहते हैं
जो समय बीत गया उसके लिए पछताने क्या कोई लाभ नहीं है
अब आगे जो समय बाकी है
उसका आप पूर्ण रूप से सदुपयोग करें और क्रांति की मशाल उठा लेना चाहिए वह मशाल लपटो में जलकर हम में स्वाहा क्यों न होना पड़े हम अपने बलिदान की धरती पर एक नया समाज की रचना करेंगे।
भ्रष्टाचार ,अनाचार, अत्याचार, असमानता ,जातिवाद यह सबसे ऊपर उठकर कवि कहते हैं हमारी धरती सदा के लिए महान क्रांतिकारियों को उत्पन्न करने वाली उर्वरा धारा है जिसके पीछे कुछ समय से ऐसा न हो पा रहा है।
अब फिर से धरती को इस मायने में उर्वरा साबित करने का समय आ गया है। कवि कहता है मानव बनो ।
1 मानव बनो शीर्षक कविता के कवि कौन हैं।
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ पुस्तक किसलय से लिया गया है पाठ का नाम मानव बनो और लेखक का नाम शिव मंगल सिंह "सुमन" है।
2 मानव बनने के लिए हमें कौन-कौन से कार्य करने चाहिए।
उत्तर :- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ पुस्तक किसलय से लिया गया है पाठ का नाम मानव बनो और लेखक का नाम शिव मंगल सिंह "सुमन" है। मानव बनने के लिए हमें अपनी शक्ति को पहचानना चाहिए अपने सृजनात्मक विध्वंसत्मक का शक्तियों को पहचानना होगा और परिस्थिति के अनुसार अपनी दुनिया को बेहतर बनाने के लिए हमें अपनी पूरी शक्ति से संघर्ष करना चाहिए इस कार्य के लिए हमें किसी से मदद की आशा नहीं रखनी चाहिए बल्कि अपने इंसान होने के स्वरूप और शक्ति का ज्ञान हमें अपने स्वयं के कर्म - मार्ग पर चलना ही होगा ।
कवि कहते हैं।
3 कवि के अनुसार सबसे बड़ी भूल क्या है।
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ पुस्तक किसलय से लिया गया है पाठ का नाम मानव बनो और लेखक का नाम शिव मंगल सिंह "सुमन" है। कवि के अनुसार मानव की सबसे बड़ी भूल है।
वह किसी भी कार्य के लिए किसी दूसरे व्यक्ति से मदद का इंतजार करता है जबकि वह सहायता पाने की आशा करते-करते मानव को एक ऐसा समय आ जाता है
कि वह दूसरे पर आश्रित हो जाता है।
यह उसके मानव होने के महत्व को कम कर देता है ।
इसलिए इस पाठ में लेखक इसको समझाने की कोशिश करते हैं।
कि किसी पर आसार नहीं लगाना है।
4 अब अश्रु दिखलाओ नहीं ,
अब हाथ फैलाओ नहीं,
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ पुस्तक किसलय से लिया गया है पाठ का नाम मानव बनो और लेखक का नाम शिव मंगल सिंह "सुमन" है। कवि कहते हैं मानव को अपने स्वरूप का अब तो ज्ञान हो जाना चाहिए उसे अपने संघर्षों से कभी घबराना या हारना नहीं चाहिए नहीं किसी से अपने उदार के लिए भीख मांगना चाहिए।
5 अब हाथ अपने मत मालो ,
जलना अगर ऐसे जलो
अपने
हृदय की भस्म से ,
कर दो धारा को उर्वरा।
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ पुस्तक किसलय से लिया गया है पाठ का नाम मानव बनो और लेखक का नाम शिव मंगल सिंह "सुमन" है कवि कहते हैं जो बीत गई वह बात गई अब तक अन्यया ,असमानता को भ्रष्टाचार को दुराचार को सहते रहे पर अब समय आ गया है कि हम अपनी सर्वस्य को अपनी धरती को स्वर्ग बनाएं जहां प्रेम हो ईमानदारी हो मानवता हो और कोई छोटा- बड़ा कोई दु:खी न हो कोई शोषत न हो जहां मानवता फूले -फूले।
पाठ से आगे
1 मानव बनने की बात जो कवि द्वारा बतायी गई
है इसके अतिरिक्त आप मानव में और कौन-कौन से गुण देखना चाहेंगे?
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ पुस्तक किसलय से लिया गया है पाठ का नाम मानव बनो और लेखक का नाम शिव मंगल सिंह "सुमन" है मानव बनने की बात जो कवि द्वारा बताई गई है ।
इसके अतिरिक्त में मानव के गुण को देखता हूं मानव को
सत्य बोलना चाहिए निंदा नहीं करनी चाहिए उसे शिलवान, चित्रबान व दृढ़संकल्पी होना चाहिए
उसे दूसरे को सताना नहीं चाहिए वह परोपकारी और धार्मिक बनना चाहिए।
2 अगर कोई समस्या आपके सामने आती है तो इस समस्या का समाधान आप कैसे करते हैं उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ पुस्तक किसलय से लिया गया है पाठ का नाम मानव बनो और लेखक का नाम शिव मंगल सिंह "सुमन" है यदि मेरे सामने कोई समस्या आती है तो मैं उसे विषय में सोचता हूं और फिर उसे समस्या के समाधान के लिए स्वयं प्रयत्न करता हूं और जब तक की उसका हल नहीं निकलता है उसे समस्या को मैं छोड़ना नहीं हूं यदि मुझे किसी पाठ का कोई प्रश्न समझ में नहीं आता है तो पाठ को बार-बार पढ़ कर समझने की कोशिश करता हूं। ताकि मुझे अपने उसे प्रश्न का सही हल प्राप्त हो सके।
3 " मानव होने का अर्थ है अपने जीवन पर खुद का अधिकार "इस विचार की तर्कपूर्ण समीक्षा कीजिए।
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ पुस्तक किसलय से लिया गया है पाठ का नाम मानव बनो और लेखक का नाम शिव मंगल सिंह "सुमन" है मानव इस धरती का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है उसने धरती के लगभग समस्त जीवों पर अपना अधिकार कर लिया जो मानव को निर्बल कैसे हो सकता है हर मानव स्वतंत्रत अपने स्वतंत्रता अन्य हाथों में सौपना नहीं चाहिए उसे अपना जीवन अपने तरीके से जीने का पूर्ण हक है किसी को उसका यह हक छीनने का अधिकार नहीं है उसके जीवन पर उसके स्वयं का अधिकार होना चाहिए चाहे वह किसी के खिलाफ संघर्ष ही क्यों न करें यह उसके संविधान के अधिकार के अनुसार कहां गया है।
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Vikram kumar