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प्रेम-अयनि श्री राधिका सब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर 2024 बिहार बोर्ड 10th हिंदी गोधूली भाग 2।

प्रेम-अयनि श्री राधिका सब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर 2024  बिहार बोर्ड 10th हिंदी गोधूली भाग 2।

रसखान का जीवन परिचय: - 


रसखान का पूरा परिचय दिया गया है।
उसके पहले पद को देखते हैं
 इस दोहे में रसखान भगवान श्री कृष्णा और राधिका की युगल स्वरूप का प्रेम का जो खजाना है अर्थात राधा और कृष्ण की युगल रूप के भक्ति के रूप में उसे भगवान और कृष्णा अपने रंग में रंगकर प्रेममय कर देते हैं।

भावार्थ: - प्रस्तुत पंक्ति हमारे हिंदी पाठ पुस्तक गोधूलि भाग 2 से लिया गया है पाठ का नाम रसखान द्वारा रचित प्रेम अयानी श्री राधिका के पद खंड से लिया गया
श्री राधिका प्रेम के खजाने हैं।
 तो श्रीकृष्ण उसके प्रेम में रंग में रंगे प्रेमी है।
 दोनों एक ही प्रेम के वाटिका के दो नायक माली और मलिन हैं

 उनके इस सौंदर्य का रसखान ने अपनी आंखों को अपने वश में अर्थात प्रेममय रूप के प्रति देख रहा है क्योंकि यह स्वरूप उनके देखे से नहीं हट रहा है।
 उसी  प्रकार जैसे वाण को खींचते धनुष से छूट कर चला जाता है।
 मेरे मन स्वरूप को  देखकर चितचोर कहलाने हैं।
बिना कृष्ण और राधिका की प्रेम के वश में फस गया ।
 प्रिय नंदकिशोर जिस दिन से आपकी इस युगल स्वरूप का दर्शन हुआ है।
 उस दिन से मेरा मन पूरा पवित्र हो चुका है यह चितचोर मैं अपनी पलकों को आपके छवि दर्शन से अलग नहीं कर सकता हूं यही मेरी इच्छा है।
दूसरे पद में लेखक कहते हैं।
इस पद में रसखान अपना संपूर्ण न्योछावर करने को  तैयार हैं।
भावार्थ: -
प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ पुस्तक गोधूलि भाग 2 के पद खंड से लिया गया है।
 लेखक का नाम रसखान और पाठ का नाम प्रेम अयानी श्री राधिका हैं।
 इस पद में लेखक कहते हैं।
 जिन्होंने अपनी छोटी लाठी कम्बल पर तीन लोक का राज त्याग दिया 

तथा आठों सिद्धि नवनिधि के सुखों को छोड़कर नंद बाबा के गाय को चराने की लिए चले आए उस श्रीकृष्ण को देखने के लिए आंखें  बहुत दिनों से तरस रही है
 ब्रज के वन उपवन और तालाब को निहार रहा हूं ।
उनके दर्शन हेतु इंद्र के करोड़ों स्वर्ग को प्रेमवाटिका स्वरूप भगवान श्री कृष्ण के ऊपर बलिदान कर दो ऐसी मेरी अभिलाषा है।

1 कवि ने माली - मालिन किन्हे और क्यों कहा है।
उत्तर:- प्रस्तुत पद्यांश हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 के काव्य खंड से लिया गया हैं।लेखक का नाम 
रसखान है।
 कवि रसखान ने प्रेमवाटिका के माली श्रीकृष्ण को तथा मालीन राधिका रानी को कहा है ।
क्योंकि दोनों प्रेम रूपी वाटिका के संरक्षक है जैसे माली मालिन मिलकर फूल और बगीचों को सोचते है।
 उसी प्रकार से भगवान श्री कृष्ण और राधिका प्रेम रूपी वाटिका को सिचकर प्रेम को पुष्ट और विकसित कर रही हैं।

2  द्वितीय दोहे का काव्य सौंदर्य स्पष्ट करें।
उत्तर:- प्रस्तुत पद्यांश हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक 
गोधूलि भाग 2 के काव्य खंड से लिया गया हैं।
लेखक का नाम 
रसखान है। दूसरे दोहे में कवि रसखान ने अनुपम भक्ति दिखाने को मिलती है जिसमें कवि श्री कृष्ण के भक्ति पर अपना सब कुछ निछावर करने को तैयार है।
सौंदर्य की दृष्टि  से  भी यह सवैया अनुपम है ।
और उसके जो छवि है उसको या आकर्षक बना देता है।

3  कृष्ण को चोर क्यों कहा गया है कवि का अभिप्राय स्पष्ट करें।
उत्तर:- 
प्रस्तुत पद्यांश हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 के काव्य खंड से लिया गया हैं।लेखक का नाम 
रसखान है। 
कृष्ण को चितचोर या भगवान 
श्री कृष्णा अपने भक्तों के मन को शीघ्र ही अपनी ओर आकृष्ट कर लेते हैं।
 इसीलिए कवि ने इन्हें 
चितचोर की संज्ञा दी है ।
क्योंकि मनुष्य जब 
कृष्ण के भक्ति की ओर जाता है

 तो उसका मन श्री कृष्ण की ओर खिंचा चला जाता है इसीलिए रसखान इन्हें चितचोर कर कर बुलाते हैं।

4 सवैये में कवि की कैसी आकांक्षा प्रकट होती है भावार्थ बताते हुए स्पष्ट करें।

उत्तर:- प्रस्तुत पद्यांश हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 के काव्य खंड से लिया गया हैं।
लेखक का नाम 
रसखान है। दूसरे दोहे में कवि ने सवैया का प्रयोग किया है।
 जिसमें एक कवि रसखान ने अपनी जो भावना है ।
उसको व्यक्त करने की कोशिश की है।
 अगर श्रीकृष्ण की भक्ति के लिए मुझे करोड़ों स्वर्ग का सुख त्याग ना पड़े तो मैं उसे खुशी-खुशी त्याग कर उनके जिस छवि का दर्शन करूंगा।

5 व्याख्या करे।
1 मन पावन  चित्तचोर फलक ओर नहि  करि सकौ।

उत्तर:- प्रस्तुत पद्यांश हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 के काव्य खंड से लिया गया हैं।
लेखक का नाम 
रसखान है। जिसमें कवि ने राधा कृष्ण के युगल स्वरूप को प्रेम का खान कह
कर अपनी भक्ति की अभिव्यक्ति की है।
 इस पंक्ति में रसखान ने भगवान श्री कृष्ण को मन पवन करने वाला तथा चित्त को चुराने वाला चितचोर के रूप से कर संबोधित किया एक क्षण के लिए मैं उनसे अपने को अलग नहीं कर सकता हूं।

2 रसखानि कबौं इन आँखिन सौं ब्रज के बनबाग तड़ाग निहारौं’ 
उत्तर:- 
प्रस्तुत पद्यांश हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 के काव्य खंड से लिया गया हैं।
लेखक का नाम 
रसखान है।  इस  सवैया में रसखन
 भगवान श्री कृष्ण की भक्ति को प्राप्त करने के लिए अपना सब कुछ देने को तैयार है इसी आकांक्षा में कवि कहते हैं आपका भक्त रसखान आपके दर्शन को आतुर हैं। कृष्ण की ओर अपनी आंखें लगाए देख रहा ।
 
Class 10th Hindi godhuli bhag 2 Prem ayani Shri radhka qualification answer 2024!
 
बिहार बोर्ड कक्षा 10th हिंदी प्रेम आयनि श्री राधिका प्रश्न उत्तर संपूर्ण व्याख्या सहित। New education point

Vikram Kumar.