बिहार बिहार बोर्ड 10th स्वदेशी बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन द्वारा रचित पाठ की व्याख्या और प्रश्न उत्तर संपूर्ण करें।
आज हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 10 स्वदेशी कविता जो की बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन द्वारा रचित है ।
उनस पाठ का प्रश्न उत्तर संपूर्ण करेंगे जो कि आपका परीक्षा के दृष्टिकोण से 2024 में अति महत्वपूर्ण होगा।
BSEB Bihar board class 10th hindi
लेखक का जीवन परिचय:-
उनके द्वारा रचित कविता: -
यह रचना स्वदेशी शीर्षक के सभी दोहे प्रेमघन
द्वारा संकलित किया गया इसमें कवि अपने देश भारत की तत्कालीन स्थिति का वर्णन किया।
सबै बिदेसी वस्तु नर, गति रति रीत लखात।
भारतीयता कछु न अब ,भारत म दरसात।।
1 दोहे का अर्थ:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 से लिया गया है पाठ का नाम स्वदेशी और लेखक का नाम बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन है।इस कविता में लेखक कह रहे हैं कि भारत के भारतीयता नाम की कुछ नहीं बचा है यहां के लोगों के स्वभाव रीति रिवाज सभी पक्षों में विदेशी वस्तुओं से लगाव हो गया हैं।
मनुज भारती देखि कोउ, सकत नहीं पहिचान।
मुसल्मान, हिंदू किधौं, कै हैं ये क्रिस्तान।।
2 दोहे का अर्थ:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 से लिया गया है पाठ का नाम स्वदेशी और लेखक का नाम बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन है। इस कविता में लेखक कह रहे हैं कि देखकर कोई पहचान नहीं सकता है कि यह आदमी भारतीय है ।
क्योंकि मुसलमान हिंदू सभी अंग्रेज बनने लगे हैं।
पढ़ि विद्या परदेश की, बुद्धि विदेशी पाय।
चाल-चलन परदेश की, गई इन्हैं अति भाय।
3 दोहे का अर्थ:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 से लिया गया है पाठ का नाम स्वदेशी और लेखक का नाम बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन है। इस कविता में लेखक कह रहे हैं कि विदेशी विद्या पढ़कर और विदेशी बुद्धि पाकर इनको भारतवासियों को विदेशी चाल- चलन बहुत अच्छा लगने लगा है।
ठटे विदेशी ठाट सब, बन्यो देश विदेस।
सपनेहूँ जिनमें न कहुँ, भारतीयता लेस।।
4 दोहे का अर्थ:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 से लिया गया है पाठ का नाम स्वदेशी और लेखक का नाम बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन है। इस कविता में लेखक कह रहे हैं कि विदेशी ठाट में बस सज गए हैं। देश भी
विदेश जैसा लगने लग हैं ।
सपना में भारत के लोगों को भारतीयता नाम की कोई चीज नहीं बची हैं।
बोलि सकत हिंदी नहीं, अब मिलि हिंदू लोग।
अंगरेजी भाखन करत, अंग्रेजी उपभोग।।
5 दोहे का अर्थ:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 से लिया गया है पाठ का नाम स्वदेशी और लेखक का नाम बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन है।
इस कविता में लेखक कह रहे हैं ।
कि अब हिंदु लोग भी परस्पर हिंदी में बात नहीं कर सकते हैं ।
अंग्रेजी बोलना और अंग्रेजी वस्तु का उपयोग करना भारतीयों को अच्छा लगता है।
अंगरेजी बाहन, बसन, वेष रीति औ नीति।
अंगरेजी रुचि, गृह, सकल, बस्तु देस विपरित।।
6 दोहे का अर्थ:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 से लिया गया है पाठ का नाम स्वदेशी और लेखक का नाम बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन है। इस कविता में लेखक कह रहे हैं।
कि अंग्रेजी वाहन अंग्रेजी वस्तु अंग्रेजी वस्त्र अंग्रेजी आभूषण अंग्रेजी रीति रिवाज अंग्रेजी विचार अंग्रेजी रुचि अंग्रेजी घर आदि सभी चीजें देशी
के विपरीत विदेशी लोगों को अच्छी लगने लगी है।
हिन्दुस्तानी नाम सुनि, अब ये सकुचि लजात।
भारतीय सब वस्तु ही, सों ये हाय घिनात।।
7 दोहे का अर्थ:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 से लिया गया है पाठ का नाम स्वदेशी और लेखक का नाम बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन है। इस कविता में लेखक कह रहे हैं कि हिंदुस्तानी नाम सुनकर ही भारत के लोग लज्जित हो जाते हैं ।
भारतीय सभी वस्तु में भारतवासियों को
धिरना हो गई है।
देस नगर बानक बनो, सब अंगरेजी चाल।
हाटन मैं देखहु भरा, बसे अंगरेजी माल।।
8 दोहे का अर्थ:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 से लिया गया है पाठ का नाम स्वदेशी और लेखक का नाम बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन है। इस कविता में लेखक कह रहे हैं कि संपूर्ण देशवासियों की वेशभूषा शहरी हो गई है सारे चाल- चलन अंग्रेजीपन आ गया है ।
हजारों ग्रामीण बाजार अब केवल अंग्रेजी
माल से ही भरे दिखाई पड़ते हैं।
जिनसों सम्हल सकत नहिं तनकी, धोती ढीली-ढीली।
देस प्रंबध करिहिंगे वे यह, कैसी खाम खयाली।।
9 दोहे का अर्थ:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 से लिया गया है पाठ का नाम स्वदेशी और लेखक का नाम बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन है। इस कविता में लेखक कह रहे हैं कि जिन नेताओं को शरीर की ढीली - ढाली भारतीय धोती संभाल में नहीं आती है।
वह देश का शासन संभाल रहे हैं यह तो उनकी कोरी कल्पना ख्याली पुलाव बनाने जैसी बात है।
दास-वृति की चाह चहूँ दिसि चारहु बरन बढ़ाली।
करत खुशामद झूठ प्रशंसा मानहुँ बने डफाली।।
10 दोहे का अर्थ:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 से लिया गया है पाठ का नाम स्वदेशी और लेखक का नाम बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन है। इस कविता में लेखक कह रहे हैं कि गुलामी कर के जीवन यापन करना ब्राह्मण क्षत्रिय शूद्र - वैश्य चारों वर्णों के लोगों की चाहत हो गई है। अंग्रेजों की खुशामद करने वाले भारतीय वास्तु की झूठी प्रशंसा करने वाले यह भारतीय मानो डफली बजाने वाले बन गए हो।
1 स्वदेशी कविता के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 से लिया गया है पाठ का नाम स्वदेशी और लेखक का नाम बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन है। इस कविता में लेखक कह रहे हैं कि स्वदेशी शीर्षक सार्थक है क्योंकि इस कविता में स्वदेशी लोगों के स्वदेशी वस्तुओ से नफरत जैसी हो गई है अपने देश के नाम सुनकर यहां के लोग लज्जा अनुभव करते हैं संपूर्ण कविता में स्वदेशी वस्तु से अलग भारतीयों को दिखाया गया अतः हम कह सकते हैं कि स्वदेशी शीर्षक यथार्थ है।
2 कवि को भारत में भारतीयता क्यों नहीं दिखाई पड़ती।
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 से लिया गया है पाठ का नाम स्वदेशी और लेखक का नाम बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन है। इस कविता में लेखक कह रहे हैं कि कवि को भारत में स्पष्ट दिखाई पड़ता है कि यहाँ के लोग विदेशी रंग में रंगे हैं। खान-पान, बोल-चाल, हाट-बाजार अर्थात् सम्पूर्ण मानवीय क्रिया-कलाप में अंग्रेजियत ही अंग्रेजियत है। अतः कवि कहते हैं कि भारत में भारतीयता दिखाई नहीं पड़ती है। इस प्रकार कवि को भारत में भारतीय नजर नहीं आ रहे हैं।
3 कवि समाज के किस वर्ग की आलोचना करता है, और क्यों?
उत्तर:-
प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 से लिया गया है पाठ का नाम स्वदेशी और लेखक का नाम बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन है। इस कविता में लेखक कह रहे हैं कि क्योंकि प्रबुद्ध वर्ग कहलाने वाले भारतीय लोग विदेशी विद्या पढ़कर विदेशी बुद्धि पाकर अपने चाल- चलन को छोड़ दिए हैं।
उनको विदेशी चाल - चलन भी अच्छा लगने लगा हैं अर्थात प्रबुद्ध वर्गीय लोगों में भारतीय नाम की चीज नहीं दिखाई पड़ती है।
4 कवि नगर बाजार और अर्थव्यवस्था पर क्या टिप्पणी करता है?
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 से लिया गया है पाठ का नाम स्वदेशी और लेखक का नाम बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन है। इस कविता में लेखक कह रहे हैं कि कवि भारत के नगर बाजार अर्थव्यवस्था पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि सब पर विदेशी वस्तु हावी हो गया है सब जगह विदेशी वस्तु ही बिक रहे हैं स्वदेशी वस्तु नगर बाजार कहीं भी दिखाई नहीं पड़ रही है कारण अर्थव्यवस्था भी बिगड़ गई है।
5 नेताओं के बारे में कवि की क्या राय है?
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 से लिया गया है पाठ का नाम स्वदेशी और लेखक का नाम बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन है। इस कविता में लेखक कह रहे हैं कि भारतीय नेताओं के बारे में कवि कि राय है जब इन नेताओं को भारतीय ढीली - ढीली धोती नहीं संभल रही है तो फिर ये लोग देश की बागडोर कैसे संभाल पाएंगे।
6 कवि ने ’डफाली’ किसे कहा है और क्या ?
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 से लिया गया है पाठ का नाम स्वदेशी और लेखक का नाम बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन है। इस कविता में लेखक कह रहे हैं कि
जिन लोगों में दास वृत्ति बढ़ रही है, जो लोग पाश्चात्य सभ्यता संस्कृति की दासता के बंधन में बंधकर विदेशी रीति-रिवाज के बने हुए हैं उनको कवि डफाली की संज्ञा देते हैं क्योंकि वे विदेश की पाश्चात्य संस्कृतिक की, विदेशी वस्तुओं की, अंग्रेजी की झूठी प्रशंसा में लगे हुए हैं।
7 व्याख्या करें: -
1 मनुज भारती देखि कोउ, सकत नहीं पहिचान’ की व्याख्या करें।
उत्तर :- प्रस्तुत पंक्ति हिन्दी पाठ्य-पुस्तक के ‘स्वदेशी’ शीर्षक कविता से उद्धृत है। इसकी रचना देशभक्त कवि बदरीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’ द्वारा किया गया है। इसमें कवि ने देशप्रेम के भाव को जगाने का प्रयास किया है।
प्रस्तुत व्याख्या में इस पंक्ति में कवि ने कहा है।
कि आज भारतीय लोग अर्थात् भारत में निवास करने वाले मनुष्य इस तरह से अंग्रेजियत को अपना लिये हैं कि वे पहचान में ही नहीं आते कि भारतीय हैं। आज भारतीय वेश-भूषा, भाषा-शैली, खान-पान सब त्याग दिया गया है और विदेशी संस्कृति को सहजता से अपना लिया गया है। मुसलमान, हिन्दू सभी अपनी भारतीय पहचान छोड़कर अंग्रेजी की अहमियत देने लगे है भारतीय मनुष्य को देखकर कोई पहचान नहीं सकता है यह भारतीय नागरिक हैं।
2 अंग्रेजी रुचि, गृह, सकल वस्तु देस विपरीत’ की व्याख्या करें।
उत्तर :- प्रस्तुत पंक्ति हिन्दी पाठ्य-पुस्तक के कवि ‘प्रेमघन’ जी द्वारा रचित ‘स्वदेशी’ पाठ से उद्धत है। इसमें कवि ने कहा है कि भारत के लोगों से स्वदेशी भावना लुप्त हो गई है। विदेशी भाषा, रीति-रिवाज से इतना स्नेह हो गया है कि भारतीय लोगों का रुझान स्वदेशी के प्रति बिल्कुल नहीं है। सभी ओर मात्र अंग्रेजी का बोलबाला है। जो भारत के विपरीत है।
आज हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 10 स्वदेशी कविता जो की बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन द्वारा रचित है ।
उनस पाठ का प्रश्न उत्तर संपूर्ण करेंगे जो कि आपका परीक्षा के दृष्टिकोण से 2024 में अति महत्वपूर्ण होगा।
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Vikram Kumar