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गुरु नानक राम नाम बिनु बिरथे जगी जनमा। जो नर दुख में दुख नहि मनौ ।

गुरु नानक  राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा। जो नर दुख में दुख नहि मनौ ।

 यह कविता बिहार बोर्ड कक्षा 10th काव्य खंड से लिया हैं।
पहले पद में
इस पद में राम नाम के जपने से जन्म सफल हो जाएगा और मनुष्य सच्चे शांति कि प्राप्त होगी गुरु नानक यही कहना चाहते है।


 राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा। 
प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 से लिया गया है।
पाठ का नाम  राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा लेखक का नाम गुरु नानक है । इस पद में लेखक कहते हैं कि राम नाम के बिना जन्म लेना बेकार है ।
जो व्यक्ति राम का नाम नहीं लेता है उसका भोजन विष के समान है उसकी बोली  विष के  समान है।
 जो ईश्वर का नाम नहीं लेता है उसका जीवन
 निष्फल  तथा बुद्धि भ्रमित हो जाती है।
पुस्तक का पाठ करना व्याकरण की व्याख्या करना संध्या- कर्म करना आदि निष्फल हो जाता है।
गुरू उपदेश के अनुरूप किए बिना मुक्ति नहीं मिलती है राम नाम के जब बिना प्राणी को इस संसार के माया - जाल में उलझ कर मर जाता है।
वे कहते  हैं ।
कि दंड- कमंडल धारण ,शिखा बढ़ाना, जनेऊ पहनना धोती पहनना या भ्रमण करना सब बेकार है।

 यदि व्यक्ति राम नाम का जप करता है।
 तो राम नाम से उसे शांति मिलती है ।
तथा जो हरि का नाम   स्मरण करता है 
उसको वैराग प्राप्त होता है।
जटा धारण,  भस्मा  लगाना , दिगंबर हो जाना यह सब बेकार है।
क्योंकि हरि नाम के बिना इस पृथ्वी पर जितने भी जीव जंतु हैं वह सब कृपा नहीं पा सकते हैं इसीलिए गुरु उपदेश देते हैं कि वह  हरि भक्ति का रस- पान कर लिया।

दूसरे पद में जो नर दुख में दुख नहि मनौ ।
गुरु नानक कहते हैं।
जो मनुष्य दु:ख-  सुख में एक समान रहते हैं तथा अंतःकरण की शुद्धता पर बल देते हैं।
प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 से लिया गया है।
पाठ का नाम जो नर दुख में दुख नहि मनौ । लेखक का नाम गुरु नानक गुरु नानक जी कहते हैं जो मनुष्य दुख से दु: खी नहीं मानता है।
 सुख - स्नेह और भय को प्रभावित नहीं करता है ।
जो दूसरे के धन को माटी के समान समझता है ।

निंदा, प्रशंसा, लोभ , लोगों से प्रभावित नहीं होता है।
सदा हर्ष या शोक से प्रभावित नहीं करता है।
जो मान अपमान नहीं समझता है 
जो मन में आशा , तृष्णा आदि सब कुछ त्याग देता है तथा जो सांसारिक माया से मुक्ति चाहता है 
जिसके काम, क्रोध स्पर्श भी नहीं करता है।
 ऐसे व्यक्ति के रूप में उसके हृदय में ईश्वर का निवास होता है जिस व्यक्ति पर गुरु की कृपा हो जाती है वही व्यक्ति को जान सकता है गुरु नानक कहते हैं कि ईश्वर भक्ति इस प्रकार लीन हो जाओ जैसे नदी का पानी समुद्र के पानी में मिलकर लीन हो जाता है।

1 कवि किसके बिना जगत में यह जन व्यर्थ मानता है।
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 से लिया गया है पाठ का नाम   राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा। जो नर दुख में दुख नहि मनौ । लेखक का नाम गुरु नानक  हैं इस पद  में लेखक राम नाम के स्मरण के बिना जगत में जन्म व्यर्थ माना है अर्थात उसी का जन्म सफल होगा जो हरि के नाम का कीर्तन करेगा।

2  वाणी कब विष के समान हो जाती हैं।
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 से लिया गया है पाठ का नाम  राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा। जो नर दुख में दुख नहि मनौ । लेखक का नाम गुरु नानक  हैं। जब मनुष्य राम नाम को अपनी वाणी में नहीं बोलता है तो उसका वाणी विष के समान हो जाता है।

3 राम नाम कीर्तन के आगे कवि किन कर्मों को व्यर्थ सिद्ध करता है।
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 से लिया गया है पाठ का नाम राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा। जो नर दुख में दुख नहि मनौ । लेखक का नाम गुरु नानक  हैं हरि नाम कीर्तन के आगे कवि पुस्तको का अध्यान ,व्याकरण ,का मनन संध्या गायत्री कर्म करना दंड - कमंडल ग्रहण करना जनेऊ धारण करना धोती पहनना तीर्थ करना जटा  धारण करना पगड़ी और भस्म लेपना  और वस्त्र का त्याग कर दिगंबर बन जाना आदि सभी कर्मों को  व्यर्थ  समझता है।

4 प्रथम पद के आधार पर बताइए कि कवि ने अपने युग में धर्म साधना के कौन से रूप देखे थे।
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 से लिया गया है पाठ का नाम  राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा। जो नर दुख में दुख नहि मनौ । लेखक का नाम गुरु नानक  हैं प्रथम पद में अनुकूल कवि ने अपने युग में धर्म साधना के दो रूप देखे थे गुरूपदेश का अनुकरण करना तथा हरि के नाम का जप करना कीर्तन करना।

5 हरिरस से कवि का अभिप्राय क्या है?
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 से लिया गया है पाठ का नाम राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा। जो नर दुख में दुख नहि मनौ । लेखक का नाम गुरु नानक  हैं हरि रस से कवि का अभिप्राय हरि भक्ति से हैं।

6 कवि की दृष्टि में ब्रह्म का निवास कहां है।
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 से लिया गया है पाठ का नाम  राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा। जो नर दुख में दुख नहि मनौ । लेखक का नाम गुरु नानक  हैं कवि का कहना है कि ब्रह्म का निवास  प्राणी के आत्मा यानी शरीर में हैं।

7 गुरु की कृपा से किस युक्ति की पहचान हो पाती है।
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 से लिया गया है पाठ का नाम  राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा। जो नर दुख में दुख नहि मनौ । लेखक का नाम गुरु नानक  हैं गुरु की कृपा से ईश्वर भक्ति संसार सागर के पार होने की युक्ति की पहचान हो पाती हैं।

8 व्याख्या करे।
 पूरा है

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Vikram kumar