तू जिंदा है तो कविता गहरे जीवन राग के उत्साह को प्रकट करती है और इस जीवन के राग में जो अतीत की दु:ख दाई पल है। उनको भूलकर आशा की एक नई किरण के साथ जीत की नई दिशा का स्वागत करने के लिए हमें प्रेरित करती है।
© पहले पक्ति में शंकर शैलेंद्र कहते हैं कि हे मनुष्य यदि तुम जिंदा हो तो जिंदगी की जीत पर यकीन कर और अपने आप पर तुम विश्वास करो यदि कहीं है स्वर्ग तो अपने कर्म से उसे इस जीवन में इस जमीन पर उतारना पड़ेगा ।
1 यह गम के और चार दिन-----------------------
अर्थ:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक किसलय से लिया गया पाठ का नाम तू जिंदा है तो लेखक का नाम शंकर शैलेंद्र इस पंक्ति में गम सितम के और चार दिन हैं ये बीत जाएंगे आज के दिन यदि तुम दु:ख हो तो यह गुजर जाएंगे
क्योंकि दुःख के
हजारों दिन बीत चुके हैं इस जिंदगी में कहीं ना कभी बहार आएगी तुम अपने जो कर्म है उस कर्म को करो और स्वर्ग को पृथ्वी पर उतार सकते हो यदि तू जिंदा है तो जिंदगी की जीत पर तुम विश्वास करो एक न एक दिन तुम सफल जरूर होंगे।
2 सुबह और शाम के रंग हुए–-–-–--–-----–-----
अर्थ :-प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक किसलय से लिया गया पाठ का नाम तू जिंदा है तो लेखक का नाम शंकर शैलेंद्र इस पंक्ति में सुबह और शाम लाल रंग से रंगी इस सूरज को इस गगन को चूम कर झू- झूम कर गाती है।
अर्थात सुख और दु:ख दोनों में एक समान रहने वाले आकाश को देखकर पृथ्वी खुशी मनाती है उसी प्रकार ही मानव हम सभी को भी आनंदित और खुशी रहना चाहिए अगर कहीं स्वर्ग है तो उसे जमीन पर उतारने की कोशिश करनी चाहिए तू अगर जिंदा है तो जिंदगी की सफलताओं पर हमें पूर्ण विश्वास के साथ काम करना चाहिए कि हम एक न एक दिन जरुर सफल होंगे।
3 हजार भेष धर------–--------–---------–---
अर्थ:-प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक किसलय से लिया गया पाठ का नाम तू जिंदा है तो लेखक का नाम शंकर शैलेंद्र इस पंक्ति में दुःख हजार रूप धारण कर हमारे घर आती है लेकिन हम सभी अपने कामों से उसे हरा कर चले गये।
और आगे बढ़ते हैं नई सुबह प्रतिदिन आकर हमें एक नई उम्मीद प्रदान करती है।
एक नया सवेरा लाती है यदि स्वर्ग कहीं है तो उसे उतारना होगा हमें अपने जमीन पर तू जिंदा है तो जिंदगी की जीत पर यकीन कर सफलता अवश्य मिलेगी ऐसा हमें विश्वास कर अपने कर्म करना चाहिए यही कहना चाहते है लेखक।
4 हमारे कारवां को-------------------–-----–---
अर्थ:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक किसलय से लिया गया पाठ का नाम तू जिंदा है तो लेखक का नाम शंकर शैलेंद्र इस पंक्ति में हमारे मंजिल को हमारे मानव समुदाय के मंजिल और लक्ष्यों का इंतजार होता है।
जो कि आंधीयों और बिजलीयों सुख और दु:ख के पीठ पर सवार होकर आगे बढ़ते रहने के लिए हमें कहता है तू जिंदा है तो जिंदगी की जीत पर यकीन कर और आगे बढ़ो कदम- से- कदम मिलाकर अपनी मंजिल लक्ष्य सब एक साथ उस मंजिल को प्राप्त कर सकते हैं अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला जमीन पर तू जिंदा है तो जिंदगी की सफलता पर अवश्य मिलेगी यह विश्वास उस ईश्वर पर करना है हमें।
5 जमीं के पेट में पली अगन-------------------
अर्थ:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक किसलय से लिया गया पाठ का नाम तू जिंदा है तो लेखक का नाम शंकर शैलेंद्र इस पंक्ति में जमीन के गर्भ में आग और भूकंप दोनों पलते हैं लेकिन धरती मां कभी घबराती नहीं है उसी प्रकार भूख बेकारी बेरोजगारी जैसी समस्याओं को देखकर हमें कभी घबराना नहीं चाहिए और हमें विपत्तियों के सर कुचल कर हम सब को कुचलकर हम सब एकता के सूत्र में बंधकर सदैव एक -साथ चलेंगे अगर कहीं है स्वर्ग तो उसे उतार लेंगे अपने जीवन में यही जमीन पर तू जिंदा है तो जिंदगी में सफल होने पर विश्वास कर हम उन बाधाओं को भी पार कर लेंगे और सफलता को लेकर ही रहेंगे यह जुनून होना चाहिए हमें।
6 बुरी है आग पेट -–----–-------–--------------
अर्थ:-
प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक किसलय से लिया गया पाठ का नाम तू जिंदा है तो लेखक का नाम शंकर शैलेंद्र इस पंक्ति में भूख और अपराध दोनों पूरे यदि यह दोनों समाप्त नहीं हुए तो एक दिन इस इकबाल विरोध की आवाज बन जाए।
और हमें जुल्म के महल को ढहना होगा नए घर बनेंगे अर्थात शांति का माहौल बनेगा अगर कहीं है स्वर्ग तो उसे अपने परिश्रम और मेहनत के दम पर स्वर्ग को पृथ्वी पर ला सकते हैं।
यह मानव तुम ऐसा कर सकते हो तो जिंदगी में सफलता जरूर आपके कदम चूमेगी इस बात पर आप विश्वास कर कर अपने कर्म को करते रहे यही पाठ तू जिंदा है तो जिंदगी की जीत पर यकीन कर शंकर शैलेंद्र कहना चाहते हैं ।
New education point
Vikram Kumar