अर्थशास्त्र किसे कहते हैं:- अर्थशास्त्र सामाजिक विज्ञान की वह शाखा है जिसमें वस्तुओ, सेवाओं उत्पादन ,वितरण, विनिमय उपभोग का अध्ययन किया जाता है।
अर्थशास्त्र शब्द संस्कृत शब्द अर्थ धन और शास्त्र की संधि से बना है जिसका मतलब होता है धन का अध्ययन हैं।
हमारे भारत में 70% भारतीय लोग किसान है यह भारत के रीड की हड्डी के समान हैं। गांव का नाम फतेहपुर है। कहानी का उद्देश्य उत्पादन संबंधित कुछ मूल विचारों को छात्रों से परिचित कराना है गांव का नाम है फतेहपुर जहां खेती ही मुख्य पेशा है जबकि अन्य क्रियाएं जैसे :-पशुपालन ,मुर्गी पालन, डेयरी, दुकानदारी, परिवहन, सीमित स्तर पर किया जाता है। जिस में मुख्य रूप से प्राकृतिक संसाधन मानव निर्मित ,संसाधन वस्तुए, मानव प्रयास, मुद्रा आदि हैं। गांव फतेहपुर पटना से 9 किलोमीटर दूर पर सड़क के पूर्व की ओर है इस गांव के पूरब में पुनपुन नदी है पश्चिम में पटना सड़क मार्ग हैं।
इस गांव में विभिन्न जातियों के लगभग 15 सौ परिवार रहते हैं सबको अपनी भूमि है गरीबी लोगों की संख्या एक चौथाई है इस गांव में बिजली के लिए एक पावर ग्रिड की स्थापना की गई हैं।
पढ़ाई के लिए प्राथमिक विद्यालय मध्य विद्यालय हाई स्कूल और 1 डिग्री कॉलेज है स्वास्थ दो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और एक निजी हॉस्पिटल भी है।
उत्पादन:- अर्थशास्त्र में उत्पादन का अर्थ उपयोगिता का सृजन करना हैं। जो हमारी आवश्यकताओं को संतुष्ट करती है परंतु यहां यह ध्यान रखना आवश्यक है उत्पादन का अर्थ किसी भौतिक वस्तु का निर्माण करना नहीं है बल्कि मनुष्य अपने आर्थिक प्रयासों से प्राकृतिक द्वारा उपलब्ध किए गए पदार्थों के रूप स्थान या अधिकार में परिवर्तन लाकर उन्हें अधिक उपयोगी बनाता है आर्थिक दृष्टि से हम इसे ही उत्पादन कहते हैं जैसे कोई बढ़ाई कोई लकड़ी को काट छांट कर टेबुल या कुर्सी बना देता है।
उत्पादन:- अर्थशास्त्र में उत्पादन का अर्थ उपयोगिता का सृजन करना हैं। जो हमारी आवश्यकताओं को संतुष्ट करती है परंतु यहां यह ध्यान रखना आवश्यक है उत्पादन का अर्थ किसी भौतिक वस्तु का निर्माण करना नहीं है बल्कि मनुष्य अपने आर्थिक प्रयासों से प्राकृतिक द्वारा उपलब्ध किए गए पदार्थों के रूप स्थान या अधिकार में परिवर्तन लाकर उन्हें अधिक उपयोगी बनाता है आर्थिक दृष्टि से हम इसे ही उत्पादन कहते हैं जैसे कोई बढ़ाई कोई लकड़ी को काट छांट कर टेबुल या कुर्सी बना देता है।
उत्पादन के साधन:- वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन के लिए कुछ संसाधनों की आवश्यकता पड़ती है जिसे हम उत्पादन के साधन कहते हैं। उदाहरण के स्वरूप में अन्न उपजाने के लिए भूमि हाल- बैल, बीज मजदूर सिंचाई दवाई आदि की आवश्यकता पड़ती है उसी तरह कारखानों में उत्पादन करने के लिए भूमि, मकान, मशीन, मजदूर पूजी, संगठन ,बाजार इत्यादि का सहयोग आवश्यक होता है।
भूमि की स्थिति:- फतेहपुर में खेती उत्पादन के प्रमुख क्रिया यहां काम करने वाले में 75% लोग अपनी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर करते हैं
श्रम:- श्रम उत्पादन का दूसरा महत्वपूर्ण साधन आश्रम के बिना किसी प्रकार का उत्पादन संभव नहीं है अध्ययन की दृष्टि से श्रम दो प्रकार के होते हैं शारीरिक श्रम और मानसिक श्रम उत्पादन में शारीरिक और मानसिक दोनों श्रम का उपयोग किया जाता है श्रम को उत्पादन का सक्रिय साधन कहा जाता है।
भूमि की स्थिति:- फतेहपुर में खेती उत्पादन के प्रमुख क्रिया यहां काम करने वाले में 75% लोग अपनी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर करते हैं
श्रम:- श्रम उत्पादन का दूसरा महत्वपूर्ण साधन आश्रम के बिना किसी प्रकार का उत्पादन संभव नहीं है अध्ययन की दृष्टि से श्रम दो प्रकार के होते हैं शारीरिक श्रम और मानसिक श्रम उत्पादन में शारीरिक और मानसिक दोनों श्रम का उपयोग किया जाता है श्रम को उत्पादन का सक्रिय साधन कहा जाता है।
पूँजी:- साधारण बोलचाल की भाषा में पूँजी का मतलब रुपया- पैसा से लगाया जाता है लेकिन अर्थशास्त्र में पूँजी शब्द का प्रयोग व्यापक अर्थों में किया जाता है और सच में पूँजी का मतलब मनुष्य द्वारा उत्पादित धन के उस भाग से है इसका उपयोग अधिक धन के उत्पादन के लिए किया जाता है इस प्रकार बीज ,कच्चा, माल, मशीन कारखाना मकान आदि पूँजी के अंतर्गत आते हैं।
पूँजी की व्यवस्था:- अधिकांश छोटे किसानों को फौजी की व्यवस्था करने के लिए पैसा उधार लेना पड़ता है।
साहस या उद्यमी:- उत्पादन में जोखिम उठाने के कार्य को साहस कहते हैं तथा जो व्यक्ति इस जोखिम को उठा सकता है उसे साहसी उद्यमी कहते हैं। उत्पादन क्या हो:- यह वास्तव में किसी अर्थव्यवस्था की सर्वाधिक महत्वपूर्ण समस्या है इसका कारण यह है कि हम किसी भी एक वस्तु के उत्पादन को घटा कर ही दूसरे वस्तु के उत्पादन को कर सकते हैं जैसे हम उन्हें ऊपर देखा है कि किसी देश के सीमित संसाधन कई प्रकार के प्रयोग होते हैं उदाहरण के लिए एक अर्थव्यवस्था में उपलब्ध भूमि में चावल गेहूं मकई आदि खाद्य वस्तुओं का उत्पादन कर सकते हैं। उत्पादन के साधनों का कई प्रकार से प्रयोग किया जाता है वस्तुओं व सेवाओं का वर्गीकरण:- वह तो कई प्रकार के होते हैं और एक अर्थव्यवस्था में अनेक प्रकार की वस्तुओं सेवाओं का उत्पादन होता है इन वस्तुओं को हम दो वर्गों में विभाजित करते हैं उपभोग की वस्तुए
उत्पादन की वस्तुए
उपभोग की वस्तुएं हैं जिनका प्रत्यक्ष रूप से मानवीय आवश्यकताओ की संतुष्टि के लिए उपयोग किया जाता है भोजन वस्त्र मकान पुस्तक कलम रेडियो आदि उपभोग की वस्तुएं यह वस्तु जो दो प्रकार के होते हैं एकल प्रयोग किया कर टिकाऊ वस्तु दूसरा होता है टिकाऊ वस्तु खाद्य व पेय पदार्थ इत्यादि उपभोक्ता टिकाऊ वस्तु है जिनका हमारी आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए केवल एक ही बार प्रयोग किया जाता है।
भविष्य में गांव में गैर कृषि उत्पादन क्रियाओं में वृद्धि हो खेती के विपरीत गैर- कृषि कार्यों में कम भूमि की आवश्यकता होती है लोग कम पूंजी में भी गैर -कृषि कार्य प्रारंभ करें इस पूँजी को प्राप्त कैसे किया जाता है। या तो अपनी ही बचत का प्रयोग किया जाए या फिर कर्ज लिया जाता है आवश्यकता है कि कर्ज ब्याज की कम दर पर उपलब्ध होगा ताकि बिना बचत वाले लोग भी गैर कृषि कार्य शुरू कर सके गैर-कृषि कार्यों शुरु कर सकें।
गैर कृषि कार्य के प्रसार के लिए यह आवश्यक है कि ऐसे बाजार हो जहां वस्तुए और सेवाएं बेची जा सकें। फतेहपुर में हमने देखा कि आस-पास के गांव में कस्बों और शहरों में दूध, गुड़ ,गेहूं आदि उपलब्ध है जैसे-जैसे ज्यादा गांव कस्बों और शहरों में अच्छी सड़कें परिवहन टेलीफोन से जुड़ेगा भविष्य में गांव में गैर कृषि उत्पादन क्रियाओं का अवसर भी बढ़ेगा
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Vikram Kumar.