मो आँसुवानिहिं लै बरसौ
1 अति सूधो सनेह को मारग है,
मो आँसुवानिहिं लै बरसौ
उत्तर:- प्रस्तुत सवैये का अंश हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 के काव्य पद खंड के अति सूधो सनेह को मारग है पद से लिया गया हैं। जिसके रचयिता घनानंद है। प्रेम का मार्ग अत्यंत सरल मार्ग है इस मार्ग में चतुराई का टेढ़ी चाल की कोई जगह नहीं है इस मार्ग में सच्चाई भी अभिमान नहीं है इसमें कपटी लोग अपना स्थान नहीं बना पाते हैं घनानंद का कहना है कि हे प्यारे सज्जन इस मार्ग के समान दूसरा कोई मार्ग नहीं है इस मार्ग का अनुसरण करने वाले कोई खर्च नहीं लेते हैं लेकिन उस फल की प्राप्ति सब होती है।
:- पद परिचय इस सवैये में प्रेम के मार्ग को सरल बताते हुए कहां है इसमें कोई खर्च नहीं है लेकिन सब कुछ आप प्रेम के मार्ग पर चलकर प्राप्त कर सकते हैं।
2 मो आँसुवानिहिं लै बरसौ
उत्तर:- प्रस्तुत सवैये का अंश हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 के काव्य पद खंड के अति सूधो सनेह को मारग है पद से लिया गया हैं। जिसके रचयिता घनानंद है।
हे मेद्य। परजन्य नाम तुम्हारा सही है क्योंकि परोपकार के लिए ही देह धारण कर घूमते हो ।
समुंद्र जल को तुम अमृत जैसा बनाकर अपने रसयुक्त घनानंद का कहना है कि तुम जीवनदायक हो कुछ मेरे हृदय की पीड़ा को स्पर्श करो हे विश्वासी किसी भी समय मेरी पीड़ारूपी आंसू को लेकर सज्जन लोगों के आंगन में बस जाओ।
:- पद परिचय इस सवैये में कवि घनानंद ने मेद्य को परोपकारी बताकर आग्रह करता हैं कि मेरे ह्रदय की पीड़ा को सज्जन लोगों के घर तक पहुंचा दो।
New education point
Vikram kumar