प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक किसलय से लिया गया ।
पाठ का नाम कर्मवीर हैं। लेखक का नाम अयोध्या सिंह उपाध्याय "हरिऔध" हैं।
कर्म व्यक्ति को सफलता का निर्धारण करता है बाधाएं व्यक्ति को निखारने का काम करता है कविता बाधाओं से जूझते कर्मशील लोगों की बातें करता है और सभ्यता संस्कृति का निर्माण करता है इस कविता में इसलिए इस पाठ का नाम कर्मवीर रखा गया।
देखकर बाधा विविध, बहु विध्न घबराते नहीं।
1 पद का अर्थ:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्य पुस्तक किसलय से लिए गया है। लेखक का नाम अयोध्या सिंह उपाध्याय" हरिऔध" है ।
इस पंक्ति में लेखक कहते है कि कर्मवीर अनेक बाधाओं और विध्न को देखकर भी घबराते नहीं भाग्य के भरोसे नहीं रखकर दु:ख नहीं भोगते हैं और पछताते भी नहीं।
वह अपने कर्म करते हैं
काम कितना भी कठिन हो उकताते नहीं भीड़ में वे चंचल बनकर अपनी वीरता दिखाते हैं।
उनकी एक आन प्रतिज्ञा से बूरे दिन भी अच्छे में बदल जाते हैं इसलिए कर्मवीर को कर्म ही करना चाहिए।
आज करना है जिसे करते उसे हैं आज ही।
2 पद का अर्थ:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्य पुस्तक किसलय से लिए गया है। लेखक का नाम अयोध्या सिंह उपाध्याय" हरिऔध" है ।
इस पंक्ति में लेखक कहते है। जो भी कर्मवीर होते हैं आज का काम आज ही करते हैं वे सोचते हैं वही करते हैं। और जो वह सोच लेते हैं वही काम को करते हैं ऐसे लोग वही करते हैं जो उनका मन कहता है लेकिन सदैव सब की बात सुनते हैं वह अपनी मदद स्वयं करते हैं भूलकर भी वह दूसरों की मदद के लिए मुंह नहीं ताकते हैं। क्योंकि वह कर्मवीर है।
जो कभी अपने समय को यों बिताते हैं नहीं।
3 पद का अर्थ:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्य पुस्तक किसलय से लिए गया है। लेखक का नाम अयोध्या सिंह उपाध्याय" हरिऔध" है ।
इस पंक्ति में लेखक कहते है।
कर्मवीर अपने समय को व्यर्थ नहीं बिताते हैं ।
काम करने की जगह बात ही नहीं बनाते हैं किसी भी काम को वह कल के लिए या परसों के लिए नहीं डालते हैं।
वह परिश्रमी होते हैं और अपने कर्मों से कभी भी जी नहीं चुराते हैं ऐसे कोई काम नहीं है।
जो उनके करने से नहीं हो वे समाज में उदाहरण देते हैं और स्वयं बन भी जाते हैं ऐसे लोग ही कर्मवीर कहलाते हैं।
चिलचिलाती धूप को जो चांदनी देवें बना।
4 पद का अर्थ:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्य पुस्तक किसलय से लिए गया है। लेखक का नाम अयोध्या सिंह उपाध्याय" हरिऔध" है ।
इस पंक्ति में लेखक कहते है। जो कर्मवीर होते हैं वह चिलचिलाती धूप को भी चांदनी बना देते हैं काम पड़ने पर वह शेर का ही सामना कर लेते हैं वे हंसते-हंसते कठिन से कठिन कामों को भी कर लेते हैं जो एक बार वह मन में ठान लेते हैं उसके लिए वह कठिन काम नहीं रह जाता है लंबी दूरी तय करने के बाद भी वे थकते नहीं है ।
कौन ऐसा समस्या है जिसे कर्मवीर सुलझाना नहीं सकता है।
इसीलिए उसे कर्म करना चाहिए। इसलिए लेखक नहीं से कर्मवीर कहा है।
काम को आरंभ करके यों नहीं जो छोड़ते।
5 पद का अर्थ:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्य पुस्तक किसलय से लिए गया है। लेखक का नाम अयोध्या सिंह उपाध्याय" हरिऔध" है ।
इस पंक्ति में लेखक कहते है। कर्मवीर जिस काम को आरम्भ करते हैं उसे बिना किए नहीं छोड़ते हैं ।
जिस काम को करते हैं उसे भूलकर भी वह मुख नहीं मोड़ते ।
आकाश -सुमन तोड़ने हैं जैसे वृथा बातें नहीं करते हैं।
और करोड़ों की संपत्ति हो जाए लेकिन वे मन में कभी भी अहंकार को नहीं पालते हैं।
कर्मवीर के हाथ में कोयला भी हीरा बन जाता है शीशा को भी वह चमकीला कर देते है एक रत्न बन जाता है वही इंसान कर्मवीर कहलाता है।
पर्वतों को काटकर सड़के बना देते हैं वे।
6 पद का अर्थ:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्य पुस्तक किसलय से लिए गया है। लेखक का नाम अयोध्या सिंह उपाध्याय" हरिऔध" है ।
इस पंक्ति में लेखक कहते है। जो कर्मवीर हैं पर्वतों को भी काट कर सड़क बना देते हैं मरुभूमि में भी सैकड़ों नदियों को बहा देते हैं ।
समुद्र के गर्भ में भी जहाज चला देते हैं जंगल में भी मंगल
रचा देते हैं।
आकाश -पताल का रहस्य भी उन्हेंने बताता है सूक्ष्म से सूक्ष्म क्रिया के बारे में भी उन्हें बताया गया है क्यों कि वह कर्मवीर है।
कार्य- स्थल को वे कभी नहीं पूछते `वह है कहां।
7 पद का अर्थ:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्य पुस्तक किसलय से लिए गया है। लेखक का नाम अयोध्या सिंह उपाध्याय" हरिऔध" है ।
इस पंक्ति में लेखक कहते है।
जो कर्मवीर होते हैं वह कार्य- स्थल के बारे में किसी से नहीं पूछते हैं
किसी भी असंभव कार्य को संभव कर दिखाते हैं जहां उन्होंने अधिक उलझन दिखती है वे उस कार्यों को और अधिक उत्साह के साथ काम को करते हैं विरोधी उसके कर्म - मार्ग में भले ही सैकड़ों अड़चने डाले दे लेकिन वे अपना कार्य जरूर ही पूरा कर निकलते हैं उन्हें ही कर्मवीर कहते हैं।
सब तरह से आज जितने देश हैं फूले- फले।
8 पद का अर्थ :- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्य पुस्तक किसलय से लिए गया है। लेखक का नाम अयोध्या सिंह उपाध्याय" हरिऔध" है ।
इस पंक्ति में लेखक कहते है।
आज संपन्न कितने देश हैं।
जो बुद्धि, विद्या, धन- संपदा से परिपूर्ण देश है ।
उन देशों को संपन्न बनाने में कर्मवीरों का ही हाथ है जिस देश की जितनी उन्नति होगी उन देशों में उतने ही कर्मवीर पैदा लेंगे जिस देश में जितने कर्मवीर पैदा लेंगे उतना ही देश समृद्ध समाज और भलाई होगा।
1 कर्मवीर की पहचान क्या है।
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक किसलय से लिए गया है। लेखक का नाम अयोध्या सिंह उपाध्याय" हरिऔध" है ।
कर्मवीर विघ्न - बाधाओं से घबराते नहीं यह भाग्य के भरोसे नहीं रहते हैं।
कर्मवीर आज भी अपने काम में व्यस्त रहते हैं जैसा सोचते हैं वैसा ही वह बोलते हैं कर्मवीर अपने समय को व्यर्थ नहीं जाने देते हैं वह अपने काम में ध्यान देते हैं कर्मवीर समय का महत्व सदा देते हैं वे परिश्रम करते हैं और जी नहीं चुराते हैं कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी वह उन से पार पा जाते हैं। कर्मवीर कार्य करने में थकते नहीं है।
जिससे कार्य को आरंभ करते हैं।
उसे पूरा कर- कर ही उसे छोड़ते हैं
आम जनों के बीच भी वे उत्साह पैदा करते हैं इसीलिए उनका नाम कर्मवीर पड़ा है
2 अपने देश की उन्नति के लिए आप क्या -क्या कीजिएगा।
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्य पुस्तक किसलय से लिए गया है। लेखक का नाम अयोध्या सिंह उपाध्याय" हरिऔध" है ।
अपने देश की उन्नति के लिए हम कर्मनिष्ठ बनेगें।
समय का महत्व देंगे।
मन - वचन कर्म तीनों से एक रहेंगे कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी हम घबराए नहीं जिस कार्य में हाथ डालेंगे उसे करके ही दम लेंगे।
आलस्य कभी नहीं करेंगे और कभी भी अपने कार्य को कल के भरोसे नहीं डालेंगे।
क्योंकि कर्मवीर ही देश की उन्नति करते हैं।
3 आप अपनी को कर्मवीर कैसे साबित कर सकते हैं।
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्य पुस्तक किसलय से लिए गया है। लेखक का नाम अयोध्या सिंह उपाध्याय" हरिऔध" है ।
हमें अपने कर्मों को साबित करने के लिए कर्तव्यनिष्ठ बनना होगा।
समय का महत्व देना होगा परिश्रम मी बनना होगा आलस्य का त्याग करना होगा मन -क्रम- वचन इन सब में एक होना पड़ेगा।
उपयुक्त कर्मवीर के गुणों को हमें अपने जीवन काल में उतारना होगा तभी हम कर्मवीर साबित हो सकते हैं।
पाठ से आगे----
1 परिश्रमी के द्वारा मोनोवांछित लक्ष्य की प्राप्ति की जा सकती है कैसे?
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्य पुस्तक किसलय से लिए गया है। लेखक का नाम अयोध्या सिंह उपाध्याय" हरिऔध" है ।
जो परिश्रमी है उसे मनोवछित लक्ष्य की प्राप्ति होती है परिश्रम मी व्यक्ति कभी आलस्य नहीं करता है अगर परिश्रमी व्यक्ति मन -वचन -और कर्म से एक बना है तो कार्य में सफलता अवश्य मिलती है परिश्रमी व्यक्ति को समय का महत्व समझ में चाहिए ।
इस प्रकार कहा जा सकता है कि कर्मवीर के सारे गुणों को अपने जीवन में समाहित करना चाहिए व्यक्ति को कर्मवीर होना चाहिए।
जिसे वह मन वांछित लक्ष्य की प्राप्ति कर सके और समाज की भलाई में वह कर्म योगी की तरह बन सके।
2" कल करै सो आज कर, आज करै सो अब।
पल में परलय होएगा, बहुरि करेगा कब ।"
इस पंक्ति का अर्थ लिखिए।
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्य पुस्तक किसलय से लिए गया है। लेखक का नाम अयोध्या सिंह उपाध्याय" हरिऔध" है ।
उपरोक्त अर्थ वाले पंक्ति यह हैं
आज करना है जिसे करते उसे हैआज ही ।
काम करने की जगह बातें बनाते नहीं।।
3 आप किसी अपना आदर्श मानते हैं और क्यों?
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्य पुस्तक किसलय से लिए गया है। लेखक का नाम अयोध्या सिंह उपाध्याय" हरिऔध" है ।
हम अपना आदर्श महात्मा गांधी को मानते हैं क्योंकि हम सादगी ,सच्चाई और अहिंसा पर विश्वास करते हैं तथा प्रयत्नशील रहने का प्रयास करते हैं। यह सब आदर्श महात्मा गांधी में मौजूद थे।
Vikram kumar