पाठ का सारांश---
सामान्यत: यात्रा वृतांतों में पारंपरिक रूप से महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक स्थानों का वर्णन किया गया है हुंडरू का जलप्रपात आदिवासी संस्कृति की विशेषता को उभारने वाला यात्रा वृतांत है।
हुंडरू झारखंड राज्य का छोटा नागपुर जिले में पड़ता है रांची से 27 मील की दूरी पर स्थित हुंडरू का जलप्रपात ।
पहाड़ जंगल घटिया नदियों को पार कर हुंडरू के जलप्रपात तक पहुंचा जाता है आदिवासियों का गीत पशु -पक्षियों की आवाज से यात्रा आनंददायक हो जाता है हरियाली संपन्न वह प्रदेश जादू की तरह मन को मोहित कर देता है।
कहीं कोयला तो कहीं अबरख के खान मिलते हैं वहां के लोग गरीब और सीधे- सादे हैं हुंडरू का जलप्रपात स्थल शोभा देवलोक जैसा है।
243 फीट ऊंची जगह से गिरता हुआ जलप्रपात पहाड़ों को चीरकर पत्थर पर जिस समय गिरता है उसका स्वरूप अत्यंत ही भाव और आकर्षक दिखता है पानी गिर- गिरकर 20-20 फिट उछलता है झरने प्रपात से आगे का दृश्य और अधिक मनमोहक है उससे आगे भी ऊंचे ऊंचे प्रपात झरना है लेकिन वहां तक पहुंचना बहुत ही कठिन है।
पहाड़ के ऊपर से नीचे पतली पतली पगडंडियों से चलकर घाटी की शोभा का वर्णित किया गया है सर्पाकार पतली -पतली नदियों के किनारे रंग-बिरंगे पत्थर विभिन्न आकार प्रकार के लोगों के लिए सुंदरता का केंद्र है।
हुंडरू की शोभा प्राकृतिक प्रदत्त है ।
वहां दुकानों का अभाव है खाने पीने की चीज है नहीं के बराबर मिलती है प्रपात के पास भयंकर ध्वनि दूर से लोगों को आकर्षित करती है हुंडरू का जलप्रपात दर्शनीय और सुनिए और हमें देखना भी चाहिए।
1 जैसे हुंडरू का झरना वैसा उसका मार्ग ।
इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक किसलय से लिया गया है यह एक यात्रा वृतांत है और इसके लेखक का नाम कामता प्रसाद "सिंह " काम है पाठ का नाम हुंडरू का जलप्रपात हैं।
हुंडरू का झरना अत्यंत आकर्षक ,मनमोहक और आनन्ददायक है उसी प्रकार हुंडरू जाने का मार्ग भी बड़ा ही आकर्षक मनमोहक आरामदायक है मार्ग में बीहर जंगल जिसमें हिंसक जीवों की आवाज के साथ-साथ विविध पक्षीयों का कलवर मनमोहक लगता है हरे -भरे खेतों की हरियाली रास्ते का आनंद और भी बढ़ा देता है हुंडरू का जल प्रपात से उत्पन्न धवल झाग मन के सारे विकारों को दूर कर देता है।
2 हुंडरू का झरना कैसे बना हैं?
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक किसलय से लिया गया है यह एक यात्रा वृतांत है और इसके लेखक का नाम कामता प्रसाद "सिंह " काम है पाठ का नाम हुंडरू का जलप्रपात हैं।
स्वर्ण- रेखा नदी पहाड़ को पार करने के लिए अनेक भागों में विभक्त हो जाती है पुन: एक जगह होकर पहाड़ से उतरती है।
यह है हुंडरू का झरना जो कि 243 फीट ऊपर से गिरता है।
3 स्वयं झरने से भी ज्यादा खूबसूरत मालूम होता है, झरने से आगे का दृश्य उस दृश्य की सुंदरता का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक किसलय से लिया गया है यह एक यात्रा वृतांत है और इसके लेखक का नाम कामता प्रसाद "सिंह " काम है पाठ का नाम हुंडरू का जलप्रपात हैं।
हुंडरू झरने से भी ज्यादा खूबसूरत मालूम होता है उसके आगे का दृश्य आगे की घाटी पहाड़ों के बीच पतली नदी मानो थर्मामीटर का पारा हो नदी के इर्द-गिर्द पत्थरों का आवरण उस पर झाड़ी।
चारों ओर सुंदरता की एक मूर्ति के रूप में दिखाई पड़ती है संपूर्ण दृश्य प्राकृतिक मय है और स्वर्ग जैसा सुख देने वाला हुंडरू के झरने से आगे का दृश्य है।
4 प्रस्तुत पाठ के आधार पर समझाइए कि किसी यात्रा- वृतांत को रोचक बनाने के लिए किन -किन बातों पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक किसलय से लिया गया है यह एक यात्रा वृतांत है और इसके लेखक का नाम कामता प्रसाद "सिंह " काम है पाठ का नाम हुंडरू का जलप्रपात हैं।
किसी भी यात्रा- वृतांत को रोचक बनाने के लिए प्राकृतिक सौंदर्य के साथ- साथ वहां के सांस्कृतिक सामाजिक आर्थिक स्थिति का वर्णन भी अनिवार्य रूप से होना चाहिए जैसा कि हुंडरू का जलप्रपात शीर्षक पाठ में लेखक ने किया है।
5 यहां पर एक दृश्य का वर्णन दो प्रकार से किया गया हैं।
( क) हुंडरू का पानी कहीं सांप की तरह चक्कर काटता है कहीं हरिण की तरह छलांग भरता है और कहीं बाध की तरह गरजता हुआ नीचे गिरता है।
उत्तर:- उपरोक्त कथनों में मुझे प्रथम कथन का तरीका अच्छा लगता है क्योंकि प्रथम कथन में विशेष - विशेषण दोनों का प्रयोग है जबकि दूसरे कथन में विशेषण मात्र प्रयोग नहीं हुआ है।
(ख) हुंडरू का पानी चक्कर काटकर छलांग भरता हुआ नीचे गिरता है इसमें से कौन सा वर्णन आपको अच्छा लगता है और क्यों।
उत्तर:- प्रथम कथानक अलंकार पूर्ण है इसमें उपमा अलंकार का समावेश किया गया है जैसे सांप की तरह चक्कर काटना हिरण की तरह उछाल लगाना।
Vikram kumar