1 बच्चों के मन की वृद्धि के लिए क्या आवश्यक हैं।
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 1 से लिया गया है पाठ का नाम शिक्षा में हेर- फेर लेखक का नाम रविंद्रनाथ टैगोर है
जो कम से कम जरूरी है वहीं तक शिक्षा को सीमित न किया जाए बल्कि आवश्यक शिक्षा के साथ स्वाधीन पाठ को भी मिलाना होगा तभी बच्चों के मन की वृद्धि हो सकेगी।
2 आयु बढ़ने पर भी बुद्धि की दृष्टि से वह सदा बालक ही रहेगा। कैसे।?
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 1 से लिया गया है पाठ का नाम शिक्षा में हेर- फेर लेखक का नाम रविंद्रनाथ टैगोर है
जो कम से कम जरूरी है वहीं तक शिक्षा को सीमित किया गया तो बच्चों के मन की वृद्धि नहीं हो सकेगी आवश्यक शिक्षा के साथ स्वाधीन पाठ को मिलना होगा अन्यथा बच्चों की चेतना का विकास नहीं होगा आयु बढ़ने पर भी बुद्धि की दृष्टि से वह सदा बालक ही रहेगा।
3 बच्चों के हाथ में यदि कोई मनोरंजन की पुस्तक दिखाई पड़ी तो वह फौरन क्यों छीन ली जाती है ? इसका क्या परिणाम होता है?
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 1 से लिया गया है पाठ का नाम शिक्षा में हेर- फेर लेखक का नाम रविंद्रनाथ टैगोर है हम चाहते हैं कि जितना शीघ्र हो सके हम विदेशी भाषा सिखकर इंतिहान पास करके काम में जुट जाएं इसलिए बचपन से ही हंसते -हंसते दाएं -बाएं न देखकर जल्दी-जल्दी सबक याद करने के अलावा और कुछ करने का हमारे पास समय नहीं होता और बच्चों के हाथ में कोई यदि मनोरंजन की पुस्तक दिखाई पड़ी तो वह फौरन छीन ली जाती है परिणामस्वरूप हमारे बच्चों को व्याकरण ,शब्दकोश ,भूगोल के अतिरिक्त और कुछ नहीं मिलता है।
4 हमारी शिक्षा में बाल्यकाल से ही आनंद का स्थान नहीं होता है आपकी समझ से इसकी क्या वजह हो सकती है?
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 1 से लिया गया है पाठ का नाम शिक्षा में हेर- फेर लेखक का नाम रविंद्रनाथ टैगोर है हम चाहते हैं कि जितना शीघ्र हो सके विदेशी भाषा सीख कर इम्तिहान पास करके काम में नया जुड़ जाएं इसलिए बचपन से हंसते-हंसते दाएं -बाएं न देखकर जल्दी-जल्दी सबक याद करने के अलावा और कुछ करने का हमारे पास समय नहीं होता है यह धोर संकीर्णतावादी प्रवृत्ति है जिस से शिक्षा में मनोरंजन का स्थान नहीं।
5 हमारे बच्चे जब विदेशी भाषा पढ़ते हैं तब उनके मन में कोई स्मृति जागृत क्यों नहीं होती?
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 1 से लिया गया है पाठ का नाम शिक्षा में हेर- फेर लेखक का नाम रविंद्रनाथ टैगोर है एक तो भाषा विदेशी होती है दूसरा इसके शब्द विन्यास और पद विन्यास की दृष्टि से हमारी भाषा के साथ इसका कोई सामंजस्य नहीं रहता है उस पर से भावपक्ष और विषय प्रसंग भी विदेशी होते हैं शुरू से अंत तक सभी अपरिचित चीजें हैं इसीलिए हमारे मस्तिष्क में कोई धारणा नहीं बन पाती है।
6 अंग्रेजी भाषा और हमारी हिंदी में सामंजस्य नहीं होने के कारण का उल्लेख करें।
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 1 से लिया गया है पाठ का नाम शिक्षा में हेर- फेर लेखक का नाम रविंद्रनाथ टैगोर है सबसे पहला कारण तो यह है कि दोनों भाषाओं की लिपि अलग-अलग है जिसके कारण अंग्रेजी रोमन लिपि में लिखी जाती है तो हिंदी देवनागरी में स्थान और क्षेत्र का प्रभाव भी भाषा पर पड़ता है यहां के बच्चों के लिए उसके भाव और विषय प्रसंग अलग होते हैं वे वहीं के वातावरण से प्रभावित होते हैं शब्द विन्यास और पद विन्यास की दृष्टि से हमारा उसका कोई तालमेल ही नहीं अंग्रेजी भाषा ,भाव ,आचार, व्यवहार साहित्य में हिंदी से अलग है इसी कारण से इसमें कोई भी सामंजस्य नहीं है।
7 लेखक के अनुसार प्राकृतिक के स्वराज में पहुंचने के लिए क्या आवश्यक है?
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 1 से लिया गया है पाठ का नाम शिक्षा में हेर- फेर लेखक का नाम रविंद्रनाथ टैगोर है प्राकृतिक के स्वराज में पहुंचने के लिए बच्चों की ऐसी शिक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए जिसमें खेलकूद के लिए आवश्यक अवकाश मिल सके जिससे से कभी पेड़ पर चढ़ते पानी में डुबकी लगाते फूल तोड़ते प्राकृतिक जनित और हजार शरारती से तंग करते हैं उनका शरीर पुष्ट और मन प्रफुल्लित होता उसकी बाल प्राकृतिक की तृप्ति मिलती लेकिन अंग्रेजी पढ़ने के प्रयास में वह न तो सीखते हैं और न ही खेलते हैं प्रकृति के स्वराज में प्रवेश करने के लिए उन्हें अवकाश नहीं मिलता है।
8 जीवन यात्रा संपन्न करने के लिए क्या आवश्यक है?
उत्तर:-प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 1 से लिया गया है पाठ का नाम शिक्षा में हेर- फेर लेखक का नाम रविंद्रनाथ टैगोर है जीवन यात्रा संपन्न करने के लिए चिंतन शक्ति और कल्पना शक्ति दोनों का विकास अति आवश्यक है यदि हमें वास्तव में मनुष्य होना है तो इन दोनों के जीवन में स्थान देना ही होगा।