उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 1 से लिया गया पाठ का नाम सुखी नदी का पुल लेखक का नाम रामधारी सिंह दिवाकर है
लीलावती मुंबई शहर में रहती थी वह शहर से गांव आई थी तो उसके मन में उसके जमाने की बैलगाड़ी छप्पर वाली या ओहर वाली लालसा थी।
उस बैलगाड़ी में गांव की मिठास घुली हुई हैं।
लेकिन जीप को देखकर उसके मन को ठेस - सी लगी
शहर की आधुनिकता से वह परिचय थी गांव की मिठास वह महसूस करना चाहती थी लेकिन जीप होने के कारण बैलगाड़ी का आनंद छूट रहा था
इस कारण उसके मन को ठेस-सी लगी।
2 गांव शहर से किस प्रकार भिन्न होता है ? वर्णन करें।
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 1 से लिया गया पाठ का नाम सुखी नदी का पुल लेखक का नाम रामधारी सिंह दिवाकर है
गांव और शहर में जो सबसे
मूलभूत अंतर है वह है आपसी।
प्रेम गांव किसी एक का नहीं होता है
वरन उस गांव का हर निवासी गांव के हर परिवार का अंग होता है
शहर में पड़ोसी यह जानता भी नहीं कि उसके पड़ोस में कौन रहता है गांव में एक का दु:ख सब का दु:ख होता है एक की खुशी में सब शरीक होते हैं शहर में पड़ोसी के यहां किसी की मौत भी हो जाए तो किसी को कोई अंतर नहीं पड़ता शहर में आधुनिकता है सुख -सुविधाओं का अंबार है तो गांव में प्रेम की पवित्रता निश्छल विराट नदी
गांव में गरीबी निरक्षरता है सुविधाओं का अभाव है अब वर्तमान में गांव में भी गांव में भी गंदी राजनीति होती है गंदे राजनीति के सबसे प्रभावित गांव हैं शहर के लोग बुद्धिजीवी होते हैं उन्हें बेकार की ओछी राजनीति प्रभावित नहीं कर पाती।
3 बुच्ची दाय सुनने में लीलावती को आनंदातिरेक की अनुभूति क्यों होता हैं?
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 1 से लिया गया पाठ का नाम सुखी नदी का पुल लेखक का नाम रामधारी सिंह दिवाकर है
बुच्चीदाय लीलावती के बचपन का नाम था । किसी के बचपन का नाम जो प्यार से रखा जाता है कोई अभिन्न व्यक्ति ही कह सकता हैं बुच्ची दाय संबोधन
लीलावती को भौया के प्यार की याद दिलाता है ।
बुच्ची दाय संबोधन मात्र से वह अपने बचपन के दिनों में चली जाती है उन्हें गाँव के मैं गांव हर चीज हर आदमी जो उससे स्नेह करता था।
उस परिधि में बांध जाती है प्यार से कहा गया एक वचन किसी को भी बांधने की क्षमता रखता है तो उसके भैया द्वारा गया संबोधन क्या उसे
आनंदातिरेक की अनुभूति नहीं कराएगा।
4 बुच्ची दाय को सबसे ज्यादा किसकी याद आती हैं और क्यों?
उत्तर:-प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 1 से लिया गया पाठ का नाम सुखी नदी का पुल लेखक का नाम रामधारी सिंह दिवाकर है
बुच्ची दाय को सबसे ज्यादा सहेलिया माय याद आती है सहेलिया मया ही बुच्ची दाय को दूसरे माँ हैं।
बुच्ची दाय की मां को बुच्चीदाय जन्म के समय दूध नहीं उतरा था
बुच्ची दाय को गाय ,बकरी ,भेड़ किसी का भी दूध नहीं पचता था
तब सहेली माय ने ही अपने स्तनों का दूध पिलाकर जिंदा रखा
और कोई भी अपनी मां को कैसे भूल सकता है अपने पुत्र के रहते हुए भी
उसने बुच्चीदाय को दूध पिलाकर जिंदा रखा क्या यही बुच्चीदाय को सहेली माया को सबसे ज्यादा याद करना काफी नहीं हैं
5 गांव में लीलावती फोन फ्रीज ,टीवी, वी सी डी की जगह क्या देखना चाहती है?
उत्तर:-प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 1 से लिया गया पाठ का नाम सुखी नदी का पुल लेखक का नाम रामधारी सिंह दिवाकर है
लीलावती गाँव में फोन ,फ्रिज, टीवी, वीसीडी नहीं देखने आई थी बल्कि वह तो नैहर की पहलेवाली असुविधाओं के लिए तरस रही थी
इस भौतिक विलास कि संग्रामी तो था ही उसके पास वह गांव का जो स्वरूप होता है वह देखने आयी थी
सखी -सहेलियां नदी -पोखर, खेत -खलियान, टोले- पगडंडिया दरिया, नाथ बाबा का थांह, राजा सल्हेल का गहबर बुढ़िया बड़ी, बरहम बाबा मंदिर यह देखना चाहती है लीलावती।
6 प्रस्तुत कहानी में प्रयुक्त उन तथ्यो को एकत्र करें जिससे ग्रामीण जीवन का चित्र उभरता है?
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 1 से लिया गया पाठ का नाम सुखी नदी का पुल लेखक का नाम रामधारी सिंह दिवाकर है गांव में एक का दुख सब का दुख होता है यह की खुशी में शरीक होते हैं शहर में पड़ोसी के यहां किसी की मौत भी हो जाए तो किसी को कोई अंतर नहीं पड़ता है शहर में आधुनिकता सुख-सुविधाओं का अंबार है तो गांव में प्रेम की पवित्रता निश्चल प्रकट होता है।
7 बुच्ची दाय जब सहेली मां से मिली पहुंची तो सबके अचरज क्यों हुआ वहां के दृश्य का वर्णन करें।
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 1 से लिया गया पाठ का नाम सुखी नदी का पुल लेखक का नाम रामधारी सिंह दिवाकर है
बबुआन से पहले से दुश्मनी चल रही थी आना- जाना टोका चाली सब बन्द था इसके बावजूद बुच्चीदाय अन्हरिया रात में गिरती पड़ती सहेलीया माय के घर उससे मिलने आती है इसी कारण लोगों को आश्चर्य होता है लोग उमड़ पड़ते हैं लीलावती को देखने बूढ़े सोनेलाल दौड़ते दरवाजे से बुच्चीदाय को देख आंखों में आंसू आ गए
आशीष के लिए उठे दाहिनी लूले हाथ को अपलक देखती रही लीलावती ओसारे पर बैठेते हुए भैया आवाज में कहने लगे सोनेलाल तुम आ गई बुच्ची दाय जिंदगी का सुफर मिल गया विश्वास नहीं हो रहा कि अपने आंगन में बुच्चीदाय को देख रहा हूं लगता है कोई सपना है बोलते -बोलते रोने लगे सोनेलाल तभी दौड़ते -दौड़ते कलेसर आ गया और एकदम ही एकदम लीलावती के पैरों पर गिर जाता है रोता रहा देर तक विवाह के उल्लास भरे वातावरण आंसूओं की यह गंगा- जमुनी
इस बढ़ में कितने कुछ डूबा बहा कौन जाने लीलावती के सामने दोनों हाथ जोड़ प्रायश्चित के दलदल से उबरने की कोशिश
में बोलने लगा भूल- चूक माफ कर देना दीदी अब ये हाथ किसी पर कभी नहीं उठेंगे लीलावती कलेसर को पीठ थपथपाती रही उस अंगना में कुछ देर के लिए सब कुछ ठहर -सा गया लगता था।
समय ही रुक गया हैं।
8 लीलावती खवासटोली और बबुआन टोली को तबाह होने किस बचा लेती हैं?
उत्तर:-प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 1 से लिया गया पाठ का नाम सुखी नदी का पुल लेखक का नाम रामधारी सिंह दिवाकर है
खवासटोली और बुआन टोली के बीच झगड़ा का मूल कारण था बुच्चीदाय की 5 एकड़ जमीन जिस पर कलेसर ने अपना हक जताया था इसी लड़ाई को देखकर दोनों टोली बर्बाद हो रहे थे उनका अमन- चैन छिन गया था बुच्चीदाय नेअपनी जमीन सहेली माय के नाम पर रजिस्ट्री कर उसके मेल- मिलाप करवा खवासटोली और बबुआन टोली को बर्बाद होने से बचा लेती हैं।
9 लीलावती अपनी पांच एकड़ जमीन भैया को न देकर सहेलीया माय के नाम करने का फैसला क्यों करती हैं।?
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 1 से लिया गया पाठ का नाम सुखी नदी का पुल लेखक का नाम रामधारी सिंह दिवाकर है
लीलावती की पाँच एकड़ जमीन पर कलेसर ने अपना हक जताया था
इसी को लेकर खावसटोली और बबुआन टोली में आए दिन संघर्ष होते थे।
सहेलीया माय का लीलावती पर दूध का कर्ज था और सहेलीया माय लीलावती के भैया के आर्थिक रूप से कमजोर थी
यदि वह अपनी जमीन भैया के नाम पर कर देती तो लड़ाई जस की तस बनी रहती लड़ाई- झगड़े निटाने एवं अपना कर्ज उतारने के ख्याल से अपनी जमीन वह सहेलीया माय के नाम कर देती हैं।
10 गांव में दंगा भड़काने का मुख्य कारण क्या हैं।
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 1 से लिया गया पाठ का नाम सुखी नदी का पुल लेखक का नाम रामधारी सिंह दिवाकर है
गांव में दंगा भड़काने का मुख्य कारण हैं आरक्षण का लागू होना एवं लीलावती की जमीन
लीलावती के भैया उससे कहते हैं
कि जबसे आरक्षण लागू हुआ है पिछड़ी जातियों के लोग हमलोगों को अपना दुश्मन समझने लगे हैं साफ-साफ दो फाँक हो गया है गांव खासटोली और पूरे पछियारी टोले से तुम्हारी वाली जमीन के मामले के बाद से ही आना-जाना न्योता-पिहानी बंद है खूनी राजनीतिक पार्टियों का खवासटोली वाले चढ़ते हैं कि सामंती जात के हमलोग
यही दंगा भड़काने के दो मुख्य कारण थे।