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अर्धनारीश्वर प्रश्न उत्तर

रामधारी सिंह दिनकर
जन्म:- 23 सितम्बर 1908
मृत्यु:- 24 अप्रैल 1974
जन्म स्थान:- सिमरिया बेगूसराय बिहार

1 युद्ध और शांति की समस्या पर लिखी गयी काव्यकृति  है
उत्तर:- कुरुक्षेत्र

2 अर्धनारीश्वर  किस विधा से सम्बंध हैं।
उत्तर:- निबंध

3 दिनकर जी को निम्न में कौन सा पुरस्कार दिया गया।
उत्तर:- पद्मभूषण

4 अर्धनारीश्वर  कल्पित रूप हैं।
उत्तर:- शंकर और पार्वती का

5 अर्धनारीश्वर  किस विधा में है।
उत्तर:- निबंध

6 दिनकर को किस रचना के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया ।
उत्तर:- संस्कृति के चार अध्याय

7 रामधारी सिंह दिनकर की कौन सी रचना हैं-
उत्तर:- रश्मिरथी

8 अर्धनारीश्वर शीर्षक निबंध के लेखक कौन हैं?
उत्तर:- रामधारी सिंह दिनकर

9 अर्धनारीश्वर कब प्रकाशित हुई?
उत्तर:- 1952

10 अर्धनारीश्वर किसका कलिप्त रूप हैं।
उत्तर:- शिव -पार्वती

11 पुरुष रूप तो वृक्ष बन गया ,पर नारी को उसने बना दिया
उत्तर:- लता

12 जिस पुरुष में नारीतत्व  नहीं अपूर्ण है कहां की पंक्ति है?
उत्तर:- अर्धनारीश्वर 

13 ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित रचना है
उत्तर :- उर्वशी

14 किस रचनाकार की पंक्ति है नारी स्वप्न है नारी सुगंध है नारी पुरुष की बांह पर झूलती हुई जूही की माला है
उत्तर:- रामधारी सिंह दिनकर

1 स्त्री का गुण क्या है
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक दिगंत से उद्धृत है पाठ का नाम अर्धनारीश्वर और लेखक का नाम रामधारी सिंह दिनकर है दया, माया, सहनशीलता , से स्त्री चित गुण कहे जाते है

2 पुरुष जब नारी के गुण लेता है तो वह क्या बन जाता है? 
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक दिगंत से उद्धृत है पाठ का नाम अर्धनारीश्वर और लेखक का नाम रामधारी सिंह दिनकर है पुरुष जब नारी के गुण अपना ले तो उसकी  मर्यादा हीन नहीं होता बल्कि उसके पूर्णता में वृद्धि हो जाती है पुरुष अगर नारी को कोमलता, दया ,सरलता जैसे गुण अपने में ले आये तो उसके जीवन में पूर्णता का बोध होता है।

3 अर्धनारीश्वर की कल्पना क्यों की गई होगी।
उत्तर:-प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक दिगंत से उद्धृत है पाठ का नाम अर्धनारीश्वर और लेखक का नाम रामधारी सिंह दिनकर है  अर्धनारीश्वर शंकर और पार्वती का काल्पनिक रूप है
 जिसका आधा अंग पुरुष का और आधा अंग नारी का होता है 
एक ही मूर्ति के दो आंखें एक रसमयी और दूसरी विकराल एक ही मूर्ति की दो भुजाएँ एक त्रिशूल उठाये और दूसरी की पहुंची पर चूड़ियां व एक की मूर्ति के दो पाँव एक  जरीदार साड़ी से आवृत और दूसरा बद्धम्बर से ढका हुआ यह कल्पना निश्चय ही शिव और शक्ति के बीच पूर्ण समन्वय दिखाने को की गई होगी।

4 नारी की पराधीनता कब से प्रारंभ हुई? 
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक दिगंत से उद्धृत है पाठ का नाम अर्धनारीश्वर और लेखक का नाम रामधारी सिंह दिनकर है नारी की पराधीनता तब आआरंभ हुई जब मानव जाति ने कृषि का आविष्कार किया
 इसके चलते नारी घर में और पुरुष बाहर रहने लगा यहां से जिंदगी दो टुकड़ों में बट गई नारी पराधीन हो गई
 इस पराधीनता से नर- नारी से वह सहज दृष्टि  भी छीन जो नर -मादा पक्षियों में थी 
इस पराधीनता के कारण नारी के सामने अस्तित्व का संकट आ गया
 उसके एक सुख और दुख प्रतिष्ठा और अपमान यहां तक कि जीवन और मरण पुरुष की मर्जी पर टिकने लगा।

5 यदि संधि की वार्ता कुंती और गांधारी से के बीच हुई होती, तो वह संभव था कि महाभारत न मचता।
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक दिगंत से उद्धृत है पाठ का नाम अर्धनारीश्वर और लेखक का नाम रामधारी सिंह दिनकर है 
यदि संधि की वार्ता कृष्ण और दुर्योधन के बीच न होकर कुंती और गांधारी के बीच हुई होती तो बहुत संभव था कि महाभारत नहीं होता नारियों में इस भावना की फिक्र होने की संभावना प्रबल होती है कि दूसरी नारीयों का सुहाग उसी प्रकार कायम रहे जैसे वे अपने बारे में सोचती है ऐसा इसलिए कि  नारियां पुरुषों की तुलना में कम कर्कश एवं कठोर हुआ करती है कुंती एवं गांधारी दोनों अपने -अपने पुत्रों को राजा बनते देखना  चाहते थी  लेकिन इतना तय है कि इसके लिए इतना बड़ा वक्त रक्तसंहार वे कदापि स्वीकार नहीं करती।

6 प्रत्येक पत्नी अपने पति को बहुत कुछ उसी दृष्टि से देखती है जिस दृष्टि से लता अपने वृक्ष को देखती है
उत्तर:- प्रस्तुत पंक्ति रामधारी सिंह दिनकर के निबंध अर्धनारीश्वर से उद्धृत अंश  है
प्रस्तुत पंक्ति में कवि कहना चाहता है कि जिस तरह वृक्ष के अधीन उसकी लताएं पलवित होती है उसी प्रकार नारी भी पराधीन हैं। प्रस्तुत कथन में लेखक ने नारी की पराधीनता पर चिंता जताई है 
आदिकाल में मानव और आदि मानवी एक- दूसरे पर निर्भर नहीं थे।
 प्राकृति का पूरा उपभोग वे एक  साथ मिलकर करते थे
वे आहार संचय के लिए साथ-साथ निकलते थे और अगर कोई जानवर उनपर टूट पड़ता  तो वे एक साथ उसका सामना भी करते थे 
नर -नारी दोनों सबल थे दोनों अपना आहार स्वयं प्राप्त करते थे लेकिन कृषि के आविष्कार ने नारी को दुर्बल बना दिया नारी पुरुष पर निर्भर होने लगी जिस प्रकार लता अपने अस्तित्व के लिए वृक्ष पर निर्भर है उसी प्रकार पत्नी अपने  पति पर निर्भर होने लगी 
कृषि का विकास सभ्यता का पहला सोपान था लेकिन नारी को इसकी कीमत चुकानी पड़ी आज प्रत्येक पुरुष अपनी पत्नी को फूलों का आनंदमय भार समझता है लेखक का या व्यंग्य उचित है
 आज नारी पराधीनता के कारण अपना अस्तित्व खोती जा रही है उसके सुख और दुख प्रतिष्ठा और अप्रतिष्ठा यहां तक कि जीवन और मरण उसकी मर्जी पर टिकने लगा  है इस प्रकार पराधीनता के कारण नारी के सामने अस्तित्व का संकट आ गया ।

7 जिस पुरुष में नारीत्व  नहीं अपूर्ण है।
उत्तर:- प्रस्तुत पंक्ति रामधारी सिंह दिनकर के निबंध अर्धनारीश्वर से ली गई है इस पंक्ति में लेखक ने नारीत्व पर प्रकाश डाला है दिनकर जी का कहना है जिस पुरुष में नारीत्व नहीं है वे अपूर्ण  अतः प्रत्येक नारी को एक हद तक नारी बनना आवश्यक है गांधी जी ने अपने जीवन के अंतिम दिनों में नारीत्व की भी साधना की थी उनकी पोती ने उन पर जो पुस्तक लिखी उसका नाम ही बापू मेरी मां दया माया सहनशीलता और भीरुता ये  रित्रियोचित गुण कहे जाते हैं किंतु क्या उन्हें अंगीकार करने से पुरुष  में कोई अंतर आनेवाला है लेखक ने ठीक ही कहा है