जन्म:- 7 जुलाई 1883
मृत्यु:- 12 सितंबर 1922
मूल निवास:- गुलेर नामक ग्राम जिला कांगड़ा हिमाचल प्रदेश।
1 उसने कहा था कहानी किस शहर का चित्रण हैं।
उत्तर:- अमृतसर
2 जर्मन पलटन किसने मार गिराया?
उत्तर:- लहना सिंह
3 उसने कहा था कहानी हैं
उत्तर:- प्रेम पर बलिदान होने की कहानी
4 निम्न में से कौन सी रचना गुलेरी जी की नहीं हैं।
उत्तर:- हारे को हरिनाम
5 उसने कहा था कहानी का नायक है
उत्तर:- लहना सिंह
6 तेरी कुड़माई हो गई यह किस कहानी का वाक्य है।
उत्तर:- उसने कहा था
7 लहना सिंह किस कहानी का पात्र है?
उत्तर:- उसने कहा था
8 उसने कहा था शीर्षक कहानी के लेखक कौन है? उत्तर:- चंद्रधर शर्मा गुलेरी
9 उसने कहा था सरस्वती पत्रिका कब प्रकाशित हुई?
उत्तर:- 1915
10 चंद्रधर शर्मा गुलेरी रचित पाठ का शीर्षक है
उत्तर:- उसने कहा था
11 लहना सिंह किस देश की ओर से युद्ध कर रहा था?
उत्तर:- इंग्लैंड
12 कौन सी कहानी चंद्र शर्मा गुलेरी कि नहीं।
उत्तर:- तीरिछ
1 उसने कहा था कहानी पहली बार कब प्रकाशित हुई थी।
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक दिगंत से उद्धृत है उसने कहा था कहानी पहली बार 1915 में प्रकाशित हुई थी।
2 उसने कहा था कहानी का आरंभ कहां और किस रूप में होता है?
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक दिगंत से उद्धृत है पाठ का नाम उसने कहा था लेखक का नाम चंद्रधर शर्मा गुलेरी है
उसने कहा था कहानी चंद्रधर शर्मा गुलेरी की अमर कथा -रचना है
यही वह कलजयी रचना है जिससे आधुनिक हिंदी कहानी का आरंभ माना जाता है
इस कहानी प्रारंभ अमृतसर के भीड़ भरे बाजार से होता है
जहां बंबू कांटे- वालों के बीच से होकर 12 वर्षीय लड़का जिसका नाम लहना सिंह है
8 वर्षीय एक लड़की को तांगे के नीचे आने से बचाता है दोनों सिक्ख है
लड़का लड़की से पूछता है तेरी कुड़माई मतलब मंगनी हो गई है
यह सुनकर लड़की धत कहकर भाग जाती है वही लड़की बाद में धत कहकर भागने की बजाय यह कहती है
कि हां कल हो गई है देखते नहीं यह रेशम के फूलों वाली सालू ?
यह सुनकर लड़का हतप्रभ रह जाता है इस प्रकार लड़का अपने हृदय में लड़की के प्रति उत्पन्न प्रेम को सहेजे रहता है।
3 कहती है तुम राजा हो मेरे मुल्क को बचाने आए हो। वजीरा के इस कथन में किसकी ओर सकेत हैं।?
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक दिगंत से उद्धृत है पाठ का नाम उसने कहा था लेखक का नाम चंद्रधर शर्मा गुलेरी है यह कथन इंग्लैंड की महिला फिरंगी मेम ने कहा था फिरंगी मेम से ब्रिटेन फ्रांस आदि की ओर संकेत किया है।
4 लहना सिंह कौन था?
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक दिगंत से उद्धृत है पाठ का नाम उसने कहा था लेखक का नाम चंद्रधर शर्मा गुलेरी है लहना सिंह उसने कहा था का नायक है। लहना सिंह जर्मनी की लड़ाई में लड़ने जाने वाले नम्बर 77 सिख राइफल में जमादार है।
5 सूबेदार और उसका लड़का लड़ाई में क्यों गये?
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक दिगंत से उद्धृत है पाठ का नाम उसने कहा था लेखक का नाम चंद्रधर शर्मा गुलेरी है सूबेदार और उसका लड़का जर्मन सैनिकों के विरुद्ध लड़ने गए थे।
6 चंद्रधर शर्मा गुलेरी का साहित्यिक परिचय दीजिए।
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक दिगंत से उद्धृत है पाठ का नाम उसने कहा था लेखक का नाम चंद्रधर शर्मा गुलेरी है चंद्रधर शर्मा गुलेरी जी का जन्म जयपुर में सन 1883 ईस्वी में हुआ था
इनके पूर्वज कांगड़ा के गुलेर नामक स्थान से आकर यहां बसे थे
गुलेरी जी संस्कृत और अंग्रेजी के प्रकांड पंडित और मर्मज्ञ विद्वान थे
अजमेर के सुप्रसिद्ध मेयो कॉलेज में बहुत दिनों तक अध्यापन कार्य करने के पश्चात अंत में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कार्यवाहक प्राचार्य के पद पर नियुक्त किए गए थे
किंतु इसके थोड़े दिनों बाद 37 वर्ष की अल्पायु में उनका मृत्यु हो गया इन्होंने जयपुर से "समालोचक" नामक पत्र का प्रकाशन भी करवाया था
इन्हें निबंध और कहानी दोनों विधाओं में पर्याप्त रूप से सफलता मिली हैं
अपनी एक ही कहानी उसने कहा था के कारण इनका हिंदी साहित्य में आविस्मरणीय स्थान बन गया हैं।
7 उसने कहा था शीर्षक कहानी का सारांश अथवा मार्मिकता पर प्रकाश डालें
अथवा/ लहना सिंह का चरित्र चित्रणकीजिए।
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक दिगंत से उद्धृत है पाठ का नाम उसने कहा था लेखक का नाम चंद्रधर शर्मा गुलेरी है
हिंदी कहानी साहित्य इतिहास में चंद्रधर शर्मा गुलेरी जी कहानी उसने कहा था अपने धर्म में पहली कहानी है कहानियां अपनी उत्सुकता अनंत अनंत तक बनाए रखती हैं अर्थात ऐसी कहानी संशिलष्ट हुआ करती है
ऐसे ही प्रसंगों में सामने आ जाते हैं दो मुख्य पात्र 8 साल की एक लड़की और इसी अवस्था से कुछ बड़ा एक लड़का दोनों सिख हैं
कथोपकथन भी अपने अद्वितीय प्रवाह के साथ तेरी कुड़माई हो गई ? धत पूरी कहानी के परिवर्तन परिप्रेक्षय का विकास स्रोत बन गया है
खींझकर लड़की का यह कहना हां हां हो गई देखते नहीं यह रेशम से काढ़ा हुआ रेशमी शालू?
बस इतने से ही यह कहानी स्मृति के एकांत
कैनवास में ढल जाता है
कथाकार 25 वर्ष की एक लंबी छलांग लगाता है और सीधे फ्रांस के युद्ध क्षेत्र में पहुंच जाता है
कहानी मार्मिकता की खुराक पाकर सफलता प्राप्त करती है जीवन के प्रारंभिक प्रवाह के साथ लहना ने सूबेदारनि के प्राण बचाए थे जब एक तांगेवाली का घोड़ा बिगड़ गया था और वह स्वयं घोड़े की लातों में चला गया था
दोनों में प्रेम तभी उपजा पेड़ तभी लगा 25 वर्ष बाद पहली बार सूबेदारनी ने जो कुछ मांगा उसके एवज में लहना ने अपने प्राण ही निछावर कर दिए ऐसे पवित्र समर्पण विरले ही घटित होगा।
यों हजारा सिंह और बोधा दोनों समझ गए थे कि लहना हमलोगों का ख्याल ज्यादा करता है।
8 उसने कहा था कहानी का केंद्रीय भाव प्रकाश डालें
अथवा:- लहना से के प्रेम के बारे में लिखिए
अथवा:- लहना सिंह ने बोधा के प्रति किस त्याग का परिचय दिया था
उत्तर:-
प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक दिगंत से उद्धृत है पाठ का नाम उसने कहा था लेखक का नाम चंद्रधर शर्मा गुलेरी है
गुलेरी जी ने कहानी के मुख्य पात्रों की अतिशय मार्मिकताओं को चित्रित करने की कोशिश की है इस कहानी का मुख्य पात्र सिख लहना सिंह हैं
और बचपन के अचानक दुकान पर भेंट हुए वह लड़की इस मुख्य पात्र के सूबेदार हजारा सिंह की पत्नी है
बोधा सिंह उसी का बेटा है फौज के नाम पर जाने की सूचना पाकर लौटती में लहना हजारा सिंह के घर से होते हुए साथ ही वापस जा रहा था
चलने के समय सूबेदारनी ने अपने बेड़े में लहना को बुला लिया
पिछली स्मृतियों की सारी घटनाएं एक चक्र की तरह घूम जाती है
सूबेदारनी अपना हाल बताते हुए रोने लगी और तब अपने बचपन के साथी लहना से यह कहती हुई
भिक्षा माँगती है कि तुम इन दोनों के दोनों के प्राण बचाना लहना भी बेड़े से निकलते हुए रोने लगता है मन में गहरा संवेद बनता है लहना का असीम प्रेम उस लड़की से बचपन में ही गाँठ लिया था
वैसे ही युद्ध में रहना ने सूबेदारनी हजारा सिंह और बोधा के प्राण अपनी जान देकर से गोली देकर स्वंय गोली के गहरे घाव खाकर बचाए लेकिन दोनों को इसका पता तक नहीं चलने दिया अपने मन में मधुर प्रेम के प्रति ऐसा पवित्र समर्पण प्रेमी -संसार के कम ही देखने को मिलता है।
9 बिना फेरे घोड़ा बिगड़ता है और और बिना लड़े सिपाही-----------------–--------- मत्था टेकना नसीब न हो
उत्तर:- प्रस्तुत पंक्ति चंद्र शर्मा गुलेरी लिखित कहानी "उसने कहा था" से उद्धृत है जर्मन सेना से मोर्चा
लेनेवाली ब्रिटिश सेना के कार्यरत जमादार लहना सिंह की यह उक्ति है उसके शरीर के रोगों में युद्ध लड़ने की आतुरता है
वह चाहता है कि उसके उच्च अधिकारी उसके साथ तैनात सैनिकों को शत्रु पर आक्रमण करने की अनुमति दें
मोर्चे पर निष्क्रिय डटे रहने से वह क्षुब्ध है
अतः उसका कथन है कि घोड़े को फेरे बिना वह बिगड़ जाता है
तथा बिना युद्ध किए सिपाही की क्षमता भी मंद हो जाती है वह कहता है
वह कहता हैं की मैं अगर 7 जर्मन सैनिकों को मारकर लौटूंगा तो मुझे दरबार साहब में मत्था टेकने का अवसर प्राप्त हो
उपयुक्त गद्यांश में एक सैनिक की मानसिकता का सशक्त निरूपण है उसकी भुजाएं युद्ध करने हेतु फड़कती है तथा वह अपने शौर्य का प्रदर्शन करना चाहती है।
10 और अब घर जाओ तो यह कह देना कि मुझे जो उसने कहा था वह मैंने कर दिया।
उत्तर:- प्रस्तुत पंक्ति उसने कहा था शीर्षक कहानी से उद्धृत है जिसके लेखक चंद्रधर शर्मा गुलेरी है इन पंक्तियों में उस समय का वर्णन है जब लहना सिंह मरणासन्न स्थिति में है
शत्रुओं की गोलीयां शरीर में लगी है उसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया है
बीते हुए दिन की स्मृतियाँ उसे झकझोर रही है
ऐसी स्थिति में वह वजीरा सिंह से कहता है कि वह जब घर जाएगा तो सूबेदारनी से कह देगा कि लहना सिंह को उसने जो कहा था
उसने लहना वह कर दिया अर्थात उसने सूबेदार हजारा सिंह व उनके पुत्र बोधा सिंह के प्राणों की रक्षा अपने जीवन का बलिदान देकर कि है
उसने अपने वचन का पालन किया है
लहना सिंह ने उच्च जीवन सिद्धांतो के पालन का आदर्श प्रस्तुत किया सूबेदारनी ने अपने पति और अपने पुत्र की रक्षा का वचन लहना सिंह से लिया था
जिसका पालन लहना सिंह ने अपने प्राण की बाजी लगाकर पूरा किया ।