उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 1 से लिया गया इस कहानी के रचनाकार विष्णु प्रभाकर पाठ का नाम अष्टावक्र।
इस रेखाचित्र के प्रधान पात्र को लेखक ने अष्टावक्र इसलिए कहा है कि अष्टावक्र एक विचित्र व्यक्ति था उसके पैर किसी कवि की नायिका की तरह बल खाते थे और उसका शरीर हिलता डोलता है और झूलता भी था बोलने में वह साधारण आदमी के अनुपात में 3 गुना अधिक समय लेता था वर्ण श्याम नयन ने निरीह शरीर एक शाश्वत खाज से पूर्ण मुख लंबा और वक्र वस्त्र किट से भरे यह था उसका व्यक्तित्व इसी कारण इस विचित्र व्यक्ति को संस्कृत के पढ़े-लिखे लोग अष्टावक्र कहते थे।
2 कोठारिया कहां बनी हुई थी?
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 1 से लिया गया इस कहानी के रचनाकार विष्णु प्रभाकर पाठ का नाम अष्टावक्र
खजचियों की विशाल अट्टालिका को ले जाने वाले मार्ग पर सौभाग्य के चरसंगी दुर्भाग्य की तरह अनेक छोटे-छोटे अंधेरे बदबूदार कोठारिया बनी हुई थी उन्हीं में से एक में अष्टावक्र रहता था।
3 अष्टावक्र कहां रहता था।
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 1 से लिया गया इस कहानी के रचनाकार विष्णु प्रभाकर पाठ का नाम अष्टावक्र खजचियों की विशाल अट्टालिका को ले जाने वाले मार्ग पर सौभाग्य की सिरसंगी दुर्भाग्य की तरह अनेक छोटे छोटे अंधेरे बदबूदार कोठरी बनी हुई थी उन्हीं में से एक में अष्टावक्र रहता था।
4 अष्टावक्र के पिता कब चल बसे थे।
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 1 से लिया गया इस कहानी के रचनाकार विष्णु प्रभाकर पाठ का नाम अष्टावक्र के होश आने से पहले या उन्हें याद करने से पहले ही चल बसे थे।
5 चिड़चिड़ापन अष्टावक्र की मां का चिरसगि क्यों बन गया था?
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 1 से लिया गया इस कहानी के रचनाकार विष्णु प्रभाकर पाठ का नाम अष्टावक्र की मां का असमय बुढ़ापे के कारण शरीर शिथिल हो चुका था वह कुछ लागरकर चलती थी साथ ही निरंतर अभवो से जूझेते- चिरचिरापन उसका चिड़संगी बन चुका था।