उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 1से लिया गया है पाठ का नाम लाल पान की बेगम और लेखक का नाम फणीश्वर नाथ रेणु है
बिरजू की मां बहुत गुस्सैल प्रवृत्ति की थी वह दोपहर दिन और चौपहर रात बिजली की बत्ती की तरह भक- भक कर जलती है इसीलिए चंगी को पतोहू ने बिरजू की मां की बोली का स्वाद लेकर कमर पर घड़े को संभालते हुए मटककर बोलती है चल दीदी दीदी इस मुहल्ले में लाल पान की बेगम बसती है नहीं जानती -दोपहर दिन और चौपहर रात बिजली की बत्ती की तरह भक- भक कर चलती है ।
गुस्सैल प्रवृत्ति के कारण पान की तरह लाल हो जाती है इसीलिए बिरजू की मां को लाल पान की बेगम कहां जाता है।
2 नवांना से पहले नया धान जूठा दिया इस कथन से बिरजू की मां का कौन -सा मनोभाव प्रकट हो रहा है?
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 1से लिया गया है पाठ का नाम लाल पान की बेगम और लेखक का नाम फणीश्वर नाथ रेणु है
गांव- देहात में क्या परंपरा है जब नयी फसल तैयार होती है
तो सबसे पहले उसे देवी देवताओं को चढ़ाया जाता है
परंतु बिरजू ने से धान की एक बाली से एक धान लेकर मुंह में डाल दिया और उसकी मां ने एक हल्की डांट दी कैसा लुक्कर है
रे तू इन दुश्मनों के मारे कोई नेम -धरम
जो बचे नवांना के पहले ही नया धान जूठा दिया
उसकी मान्यता है कि नया धान देवी देवताओं को चढ़ाने से फसल अगले साल अच्छी होती हैं।
3 बिरजू की मां बैठी मन ही मन क्यों कुढ़ रही थी?
उत्तर:-प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 1से लिया गया है पाठ का नाम लाल पान की बेगम और लेखक का नाम फणीश्वर नाथ रेणु है
बिरजू की मां नाच देखने की तिथि और समय की प्रतीक्षा में थी
परंतु समय निकलता जा रहा था बिरजू के बाप के पास बैल तो है
परंतु गाड़ी नहीं वह गाड़ी मांगने के लिए पास के गांव गया है
उसके लौटने में अनावश्यक विलंब हो रहा है बिरजू की मां सब्र खो रही है
उसकी प्रतीक्षा की मन: स्थिति अब क्रोध और खींझ में बदल रही है
अनावश्यक विलंब होने के कारण वह बैठी बैठी मन ही मन कुढ़ रही थी वह सहुआइन के यहां से गुड़ लेने गई और वहां से लौटी अपनी बेटी चंपिया पर यूँ ही बिगड़ने लगति हैं मखनी फुआ की पुकारभरी आवाज पर वह झल्लाकर उसे भला बुरा कह बैठती है इस गुस्से की मन: स्थिति में वह अपने बेटे बिरजू और वही बंधी अपने बांगड़ को भला बुरा कह बैठती है।
4 लालपान की बेगम शीर्षक कहानी की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 1से लिया गया है पाठ का नाम लाल पान की बेगम और लेखक का नाम फणीश्वर नाथ रेणु है
लालपान की बेगम शीर्षक कहानी में कहानी की नायिका बिरजू की मां गुस्सैल प्रवृत्ति के होने के कारण वह हमेशा बिजली की बत्ती के समान भुक भुक करती है
उसके आंख होठ गुस्से से हमेशा लाल रहते हैं क्योंकि वह तुनुकमिजाजी भी है लोग इसीलिए उसे लालपान की बेगम कहते हैं क्योंकि कहानी उसी के इर्द-गिर्द घूमती है इसलिए कहानी का शीर्षक उसके उपनाम पर रखा गया है जो किसी खास प्रवृत्ति का द्योतक है गरीबी की दुख भरी दर्द भरी जिंदगी के बीच भी मनोरंजन प्राप्त करना ,आनंदपूण जीवन जीना उसका लक्ष्य है
इस दृष्टि से लाल पान की बेगम नाम सार्थक जान पड़ता है।
5 चार मन पाट जूट का पैसा क्या हुआ है धरती पर पांव ही नहीं पड़ते हैं?
उत्तर:-प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 1से लिया गया है पाठ का नाम लाल पान की बेगम और लेखक का नाम फणीश्वर नाथ रेणु है
अपनी अच्छी फसल देखकर अत्यधिक खुश होना एक तरह से यह वाक्य ईर्ष्या और द्वेष के भाव से कहा गया वाक्य है
बिरजू की मां के मन में रह-रहकर जंगी की पतोहू की बातें चुभती है
भक भक बिजली बत्ती चोरी -चमारी करने वाली की बेटी पतोहू जलेंगी नहीं 5 बीघा जमीन क्या हासिल की है
बिरजू के बप्पा ने गांव की भाईखौकियो कीआंखों में किरकिरी पड़ गई है
क्योंकि कहानी के केंद्र में गांव है और जहां गरीबी है वहां किसी व्यक्ति की खुशी बढ़ने पर दूसरे को ईर्ष्या होना स्वाभाविक हैं।