जन्म:- 23 जून 1844
मृत्यु:- 20 जुलाई 1944
जन्मस्थली:- इलाहाबाद उत्तर प्रदेश
1 बालकृष्ण भट्ट के पिता का नाम क्या था?
उत्तर:- बेनी प्रसाद भट्ट
2 दमयंती स्वयंवर किस लेखक की रचना हैं।
उत्तर:- बालकृष्ण भट्ट
3 बालकृष्ण भट्ट किस काल के रचनाकार है।
उत्तर:- आधुनिक काल
4 बातचीत शीर्षक निबंध के निबंधकार कौन हैं
उत्तर:- बालकृष्ण भट्ट
5 भट्ट निबंधमाला के लेखक कौन है।
उत्तर:- बालकृष्ण भट्ट
6 बातचीत के माध्यम से बालकृष्ण भट्ट क्या बताना चाहते हैं।
उत्तर:- बातचीत की शैली
7 बातचीत साहित्य की कौन सी विधा हैं।
उत्तर:- निबंध
8 बालकृष्ण भट्ट को हिंदी का एडिसन और स्टील किसने कहा है।
उत्तर:- रामचंद्र शुक्ल
9 बालकृष्ण भट्ट की रचना बातचीत क्या है।
उत्तर:- ललित निबंध
1 बातचीत की कला अर्थात आर्ट ऑफ कन्वर्सेशन क्या है?
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक दिगंत से लिया गया पाठ का नाम बातचीत और लेखक का नाम बालकृष्ण भट्ट है।
प्रस्तुत निबंध में वाक्यशक्ति की महत्ता तथा आर्ट ऑफ कन्वर्सेशन के आकर्षण शक्ति को पप्रतिबिंबित किया गया है यूरोप के लोग का आर्ट ऑफ कन्वर्सेशन जगत प्रसिद्ध हैं आर्टऑफ कन्वर्सेशन का अर्थ वार्तालाप की कला आर्ट ऑफ कन्वर्सेशन हुनर की बराबरी स्पीच और लेख दोनों नहीं कर पाते हैं इस हुनर की पूर्ण शोभा काव्यकला प्रवीण विद्वातमंडली में है इस कला के माहिर व्यक्ति ऐसे चतुराई से प्रसंग छोड़ते हैं कि श्रोताओं के लिए बातचीत कर्णप्रिय तथा अत्यंत सुखदाई होते हैं सुह्रद सुह्रद इसी का नाम हैं सुह्रद गोष्ठी की
विशेषता हैं कि वाक्य के वक्ता के वाक्चातुर्य का अभिमान या कपट कहीं प्रकट नहीं हो पाता तथा बातचीत की सरसता बनी रहती है।
2 बातचीत के संबंध में बेन जॉनसन और एडिसन ने क्या विचार हैं।
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक दिगंत से लिया गया पाठ का नाम बातचीत और लेखक का नाम बालकृष्ण भट्ट है।
मनुष्य की गुण -दोष प्रकट करने के लिए बातचीत आवश्यक है बेन जॉनसन के अनुसार बोलने से ही मनुष्य के रूप का साक्षात्कार होता है , जो सर्वथा उचित है। एडिसन के मतानुसार- असली बातचीत सिर्फ दो व्यक्तियों में हो सकती है, जिसका तात्पर्य यह हुआ कि जब दो आदमी होते हैं तभी अपना एक- दूसरे के सामने दिल खोलते हैं
तीसरे की उपस्थिति मात्र से ही बातचीत की धारा बदल जाती है
तीन व्यक्तियों के बातचीत की मनोवृति के प्रसारण की वह धारा बन जाती है मानो उस त्रिकोण के तीन रेखाएं है।
बातचीत में जब चार व्यक्ति लग जाते हैं तो बेतकल्लुफी का स्थान फॉर्मेलिटी ले लेती है।
3 अगर हम वाक्यशक्ति न होती, तो क्या होता?
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक दिगंत से लिया गया पाठ का नाम बातचीत और लेखक का नाम बालकृष्ण भट्ट है
ईश्वर द्वारा प्रदत्त शक्तियों में वाक्यशक्ति मनुष्य के लिए वरदान वाक्यशक्ति के अनेक फायदे में स्पीच वक़तूता बातचीत दोनों का समावेश होता है
वाक्यशक्ति के अभाव में सृष्टि गूंगी रहती
वाक्यशक्ति के अभाव में मनुष्य सुख -दुख का अभाव अन्य इंद्रियों के द्वारा करता है और सबसे विकट स्थिति तो आपस में संवादहीनता की स्थिति होती है बातचीत जहां दो आदमियों का प्रेमपूर्वक संलाप है वाक्यशक्ति के अभाव में चुटीली व्यंग्यात्मक बात कहकर तालियां बटोरना भी संभव न होता
4 राम-रमौवल का अर्थ क्या है?
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक दिगंत से लिया गया पाठ का नाम बातचीत और लेखक का नाम बालकृष्ण भट्ट है केवल बाते करना दो से अधिक लोगों के बीच बातचीत केवल राम - रमौवल कहलाती हैं।
5 बातचीत निबंध की विशेषता बताएं।
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक दिगंत से लिया गया पाठ का नाम बातचीत और लेखक का नाम बालकृष्ण भट्ट है
सुविख्यात निबंधकार बालकृष्ण भट्ट के अनुसार सबसे उत्तम प्रकार का बातचीत अपने में वह शक्ति पैदा करता है जिसमें व्यक्ति स्व से बात कर सके।
बोलने से मनुष्य के रूप का साक्षात्कार होता है।
बातचीत की दरमियान ही मनुष्य अपने दिल की बात एक दूसरे के समक्ष प्रकट करता है वास्तव में जब तक मनुष्य बोलता नहीं तब तक उसका गुण और दोष प्रकट नहीं होता है
बातचीत के द्वारा ही दो व्यक्तियों से लेकर मीटिंग या सभा तक की भावनाओं और चाहत को समझा जाता है
एक तरफ से देखे जाए तो बातचीत वह केंद्र बिंदु है जिसके द्वारा मनुष्य के अंदर छिपे गुण-दोष को सहज ही समझा जा सकता है
अतः हम कह सकते हैं कि मौन रहने से व्यक्तित्व का पता लगाना आसान नहीं होता हैं।
1 हमारी भीतरी मनोवृति प्रशिक्षण नए नए रंग दिखाया करती है वह प्रपंचात्मक संसार का एक बड़ा भारी आईना है जिसमें जैसे चाहो वैसी सूरत देख लेना कोई दुर्घटना बात नहीं हैं।
उत्तर:- प्रस्तुत पंक्ति बालकृष्ण भट्ट द्वारा रचित ललित निबंध बातचीत शीर्षक से उद्धृत है प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से निबंधकार ने मनुष्य के भीतर छिपी हुई प्रतिभा को रेखाकित करने का सार्थक प्रयास किया है
मनुष्य की भीतरी मनोवृति रहस्ययो का गर्भ- गृह है जिसमें इस पहलीनुमा संसार को अक्सर- बर-अक्स रखकर जीवन की विस्मकारी स्वरूप को प्रतिबंधित किया जा रहा है अपने हृदयरूपी चमीनस्तान में मनुष्य अपनी अद्भुत गरिमा से परिपूर्ण
चित्र इच्छाअनुसार यथार्थ रूप में देख सकता है मनुष्य के भीतरी मनोवृति चलचित्र के समान नए-नए चित्र मानस पटल पर अंकित करता है जिस प्रकार आईने में सूरत देखी जा सकती है
उसी प्रकार मनुष्य हृदयरूपी आईने में तस्वीर देख सकता है।
2 सच है ,जबतक मनुष्य बोलता नहीं तब तक उसका गुण दोष प्रकट नहीं है।
उत्तर:- प्रस्तुत पंक्ति निबंधकार बालकृष्ण भट्ट द्वारा रचित बालचीत शीर्षक ललित निबंध से उद्धत इस पाठ के माध्यम से लेखक करना चाहते हैं बोलने से मनुष्य के रूप का साक्षात्कार होता है बातचीत के क्रम से ही मनुष्य अपने दिल की बात दूसरों के सामने प्रकट करता है
जब तक मनुष्य बोलता नहीं तब तक उसका गुण और दोष प्रकट नहीं होता
बातचीत के द्वारा ही व्यक्ति की भावना चाहत को समझा जा सकता हैं।
लेखक का कथन है कि बातचीत वह केंद्र -बिंदु है
जिसके द्वारा मनुष्य के अंदर छिपे
हुई गुण- दोष को सहज ही समझा जा सकता है हमारी वाणी की भावनाओं का सफर तथा तय करती है यदि जिव्हा को काबू में नहीं किया गया तो क्रोधबश सर्वशः नष्ट हो सकता है
बेन जॉनसन ने कहा "बोलने से मनुष्य का मनुष्य का साक्षात्कार होता है'