उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 से लिया गया है इस पाठ के रचनाकार का नाम रामविलास शर्मा और पाठ का नाम परंपरा का मूल्यांकन है।
जो लोग साहित्य में युग परिवर्तन करना चाहते हैं जो लोग लकीर के फकीर नहीं बनकर रुढ़ियां तोड़कर क्रांतिकारी साहित्य की रचना चाहते हैं उनके लिए परंपरा का ज्ञान आवश्यक है। क्योंकि परंपरा के ज्ञान में प्रगतिशील आलोचना का विकास होता है अर्थात प्रगतिशील आलोचना साहित्य परंपरा का मूर्त ज्ञान प्राप्त है।
2. परंपरा के मूल्यांकन में साहित्य के वर्गीय आधार का विवेक लेखक क्यों महत्वपूर्ण मानता हैं?
उत्तर:-प्रस्तुत पाठ हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 से लिया गया है इस पाठ के रचनाकार का नाम रामविलास शर्मा और पाठ का नाम परंपरा का मूल्यांकन है। परंपरा केेे मूल्यांकन में साहित्य के वर्गीय आधार का विवेेेक
लेखक महत्वपूर्ण मानता हैै ।
क्योंकि साहित्य की परंपरा का मूल्यांकन हेतु प्रथम उस साहित्य का मूल्य निर्धारण आवश्ययक है है जो शोषक वर्गों के विरुद्ध श्रमिक जनता के हितों को प्रतिबिम्बत करता है।उस साहित्यय पर ध्यान देना होगा किसकी रचना का बुनियाद शोषित जनता के श्रम पर है।
3. साहित्य का कौन- सा पक्ष अपेक्षाकृत स्थाई होता है !इस संबंध में लेखक की राय स्पष्ट करें।
उत्तर:-प्रस्तुत पाठ हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 से लिया गया है इस पाठ के रचनाकार का नाम रामविलास शर्मा और पाठ का नाम परंपरा का मूल्यांकन है
साहित्य मनुष्य के संपूर्ण जीवन से संबंधित हैं आर्थिक जीवन के अलावा मनुष्य एक प्राणी के रूप में जीवन बिताता है
साहित्य में मनुष्य बहुत सी आदिम भावनाएं
प्रतिफलित होती है
जो उसे प्रामाणिक मात्र से जोड़ता है
साहित्य केवल विचार-धारा मात्र नहीं बल्कि उसमें मनुष्य का इंद्री बोध उसकी भावनाएं भी होती है साहित्य का यह पक्ष अपेक्षाकृत स्थाई होता हैं।
4. साहित्य में विकास प्रक्रिया उसी तरह संपन्न नहीं होती जैसे समाज में लेखक का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर:-प्रस्तुत पाठ हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 से लिया गया है इस पाठ के रचनाकार का नाम रामविलास शर्मा और पाठ का नाम परंपरा का मूल्यांकन है
साहित्य में विकास प्रक्रिया उसी तरह संपन्न नहीं होती जैसे समाज में।
लेखक के कहने का आशय है कि जैसे समाज में विकास की प्रक्रिया संपन्न नहीं होती है
उसी प्रकार साहित्य के क्षेत्र में भी विकास प्रक्रिया पूरी नहीं होती है
जब हम साहित्य की विकास प्रक्रिया को संपन्न परिपूर्ण दोष रहित मान लेंगे तो फिर कोई कवि ही नहीं होगा
तथा साहित्य का विकास भी नहीं होगा विकासशील समाज में विकास प्रक्रिया कभी संपन्न नहीं हो सकती है।
5. लेखक मानव चेतना को आर्थिक संबंधों से प्रभावित मानते हुए उसकी सापेक्ष स्वाधीनता किन दृष्टांतो द्वारा प्रमाणित करता है?
उत्तर:-प्रस्तुत पाठ हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 से लिया गया है इस पाठ के रचनाकार का नाम रामविलास शर्मा और पाठ का नाम परंपरा का मूल्यांकन है
लेखक मानव चेतना को आर्थिक संबंधों से प्रभावित मानते हुए
उसकी सपेक्षा स्वाधीन स्वीकार करता है ।
क्योंकि आर्थिक संबंधों से प्रभावित होना एक परिस्थिति है
उस परिस्थितिवश स्वाधीन भारत का त्याग करना अनिवार्य नहीं
लेखक इस पक्ष में दृष्टांत देता है
कि अमेरिका और एथेंस दोनों गुलाम थे लेकिन एथेंस की सभ्यता ने सारे यूरोप को प्रभावित किया अमेरिका नहीं
उसी प्रकार सामंतवाद दुनियाभर में कायम रहा लेकिन भारत और ईरन दो ही काव्य का केंद्र थे।
6. साहित्य के निर्माण में प्रतिभा की भूमिका स्वीकार करते हुए लेखक की खतरों से आगाह करता है।
उत्तर:-प्रस्तुत पाठ हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 से लिया गया है इस पाठ के रचनाकार का नाम रामविलास शर्मा और पाठ का नाम परंपरा का मूल्यांकन है
साहित्य निर्माण में प्रतिभाशालियो की भूमिका लेखक स्वीकार करता है।
क्योंकि साहित्य निर्माण में उनकी भूमिका अद्वितीय और निर्णायक है
लेखक इस स्वीकारात्मक पक्ष में खतरा भी है
क्योंकि प्रतिभाशाली मनुष्य की कृति साहित्य में दोष नहीं होता
हम दावा नहीं कर सकते ।कला निर्दोष होना भी एक दोष है
जबतक कला में दोष नहीं होगा जिसे हम अद्वितीय कला कहते हैं उस कला के पक्ष में अन्य प्रतिभाशालिओं का उल्लेखनीय कार्य संभव नहीं हो सकता है।