उत्तर:- प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 से लिया गया है पाठ का नाम शिक्षा और संस्कृति लेखक का नाम महात्मा गाँधी है।
गांधी जी ने बढ़िया शिक्षा अहिंसा प्रतिरोध की शिक्षा को कहते हैं।
2 इंद्रियों का बुद्धिपूर्वक उपयोग सीखना क्यों जरूरी हैं?
उत्तर:-प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 से लिया गया है पाठ का नाम शिक्षा और संस्कृति लेखक का नाम महात्मा गाँधी है
इंद्रियों का बुद्धिपूर्वक उपयोग सिखाना इसलिए जरूरी है की इंद्रियों का बुद्धिपूर्वक उपयोग उसकी बुद्धि के विकास का जल्द- से -जल्द और उत्तम तरीका है।
3 शिक्षा का अभिप्राय गांधीजी क्या मानते हैं?
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गांधीजी शिक्षा का अभिप्राय मानते हैं कि बच्चों के शारीरिक बुद्धि और आत्मा के सभी गुणों को प्रकट किया जाए।
4 मस्तिष्क और आत्मा का उच्चतम विकास कैसे संभव है?
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जब बच्चों को कोई दस्तकारी सिखाई जाए और जिस क्षण से वह तालीम शुरू करें उसी क्षण उसे उत्पादन का काम करने योग्य बना दिया जाए।
ये सारी शिक्षा दस्तकारी या उद्योग के द्वारा दी जाए तो उससे उसके मस्तिष्क और आत्मा का उच्चतम विकास संभव है।
5 गांधीजी कताई और धुनाई जैसे ग्रामीउद्योगों के द्वारा सामाजिक क्रांति कैसे संभव मानते हैं।
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कताई और धुनाई जैसे ग्रामउद्योग द्वारा प्राथमिक शिक्षा से नगर और ग्राम के संबंधों का एक स्वास्थ्य प्रद नैतिक आधार प्राप्त होगा और समाज की मौजूदा आरक्षित अवस्था और वर्गों के परस्पर विषाक्त संबंधों में बड़ी बुराइयों को दूर करने में सहायता मिलेगी।
साथ-साथ गांव में बढ़ने वाला ह्रास भी रुकेगा।
इस प्रकार की शिक्षा योजना से गाँधीजी सामाजिक क्रांति संभव मानते हैं।
6 शिक्षा का धेय्य गांधीजी क्या मानते थे और क्यों?
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शिक्षा का धेय्य गांधीजी चरित्र- निर्माण मानते थे क्योंकि जब व्यक्ति चरित्र- निर्माण करने में सफल हो जाएगा तो समाज अपना काम आप संभाल लेगा इस प्रकार जिन व्यक्तियों का विकास हो जाएगा उनके हाथों में समाज के संगठन का काम सौंपना चाहते थे।
7 गांधीजी देशी भाषाओ में बड़े पैमाने पर अनुवाद कार्य क्यों आवश्यक मानते थे?
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अन्य देशों की भाषा में जो ज्ञान भंडार पड़ा है उसे देशी भाषाओं में बड़े पैमाने पर अनुवाद कार्य करके ही जाना जा सकता है इसलिए देशी भाषाओं में बड़े पैमाने पर अनुवाद कार्य आवश्यक मानते थे।
8 दूसरी संस्कृति से पहले अपनी संस्कृति की गहरी समझ क्यों जरूरी हैं।?
उत्तर:-
प्रस्तुत पाठ हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक गोधूलि भाग 2 से लिया गया है पाठ का नाम शिक्षा और संस्कृति लेखक का नाम महात्मा गाँधी है
दूसरी संस्कृति से पहले संस्कृति अपनी संस्कृति की गहरी समझकर जरूरी है क्योंकि अपनी संस्कृति को ना समझ कर अन्य संस्कृति को समझ या उसका अनुकरण करना आत्महत्या के समान हैं।
9 अपनी संस्कृति और मातृभाषा की बुनियाद पर दूसरी संस्कृति और भाषाओं से संपर्क क्यों बनाया जाना चाहिए ।गांधीजी की राय स्पष्ट कीजिए?
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अपनी संस्कृति और मातृभाषा की बुनियाद पर दूसरी संस्कृति और भाषाओं से संपर्क बनाना चाहिए इसमें गांधीजी की राय की विभिन देशों की संस्कृति को हम जान लें लेकिन उसके पहले अपनी संस्कृति को समझे क्योंकि अपनी संस्कृति की अवहेलना करके दूसरे की संस्कृति का आचरण आत्महत्या के बराबर है उसी प्रकार दूसरों की भाषा से संपर्क करना भी निरर्थक होगा उससे पहले हमें अपनी भाषा को हृदय में बसाना होगा अगर हम अपनी संस्कृति में विभिन्न देशों की भाषाओं की अच्छी-अच्छी बातों का अनुवाद करें तो हम भारतवासी अधिक से अधिक लाभान्वित हो सकते हैं।
10 गांधी जी किस तरह के सामंजस्य को भारत के लिए बेहतर मानते थे और क्यों
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जो भिन्न-भिन्न संस्कृति हिंदुस्तान में पैर जमा चुकी है जिनका भारतीय जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ चुका है और जो स्वयं भी भारतीय संस्कृति से प्रभावित हो चुके हैं वह सामंजस्य भारत के लिए बेहतर होगा क्योंकि इस प्रकार के सामान्य से कुदरती तौर पर स्वदेशी ढंग का होग ।