उत्तर:- प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठपुस्तक को गोधूलि भाग-2 से उद्धृत है शीर्षक का नाम है नाखून क्यों बढ़ते और लेखक का नाम है हजारी प्रसाद द्विवेदी जी की रचना हैं। नाखून क्यों बढ़ते हैं यह प्रश्न लेखक के आगे लेखक की छोटी पुत्री ने उपस्थित किया।
2. बढ़ते नाखूनों द्वारा प्राकृतिक मनुष्य को क्या याद दिलाती है।
उत्तर:-प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठपुस्तक को गोधूलि भाग-2 से उद्धृत है शीर्षक का नाम है नाखून क्यों बढ़ते और लेखक का नाम है
हजारी प्रसाद द्विवेदी जी की रचना हैं बढ़ते नाखूनों द्वारा प्राकृति मनुष्य को याद दिलाता है
कि मनुष्य कभी लाख वर्ष पूर्व
नख- दंतालंबी था पशु भाव को प्राप्त किये था
नाखो के द्वारा ही प्रतिद्वंद्वीयो को पछड़ाता था नख कट जाने पर उसको डांट पड़ती होगी इत्यादि?
3. लेखक द्वारा नाखूनों को अस्त्र के रूप में देखना कहां तक संगत है
उत्तर:- प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठपुस्तक को गोधूलि भाग-2 से उद्धृत है शीर्षक का नाम है नाखून क्यों बढ़ते और लेखक का नाम है हजारी प्रसाद द्विवेदी जी की रचना हैं नाखून ही मानव के अस्त्र थे
आज से लाखो वर्ष पूर्व जंगल में रहता था
अपने पैने नुकीले नख से अन्य जीवो को आहत कर पेट भरता था
अपने नाखून के प्रहार से प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़कर था इसलिए नाखूनों को अस्त्र के रूप में देखना युक्तिसंगत है।
4. मनुष्य बार-बार नाखूनों को क्यों काटता है।
उत्तर:-प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठपुस्तक को गोधूलि भाग-2 से उद्धृत है शीर्षक का नाम है नाखून क्यों बढ़ते और लेखक का नाम है हजारी प्रसाद द्विवेदी जी की रचना हैं
नाखून मनुष्य का प्राचीनतम हथियार है । जिस समय मनुष्य पशु की भांति जीवन व्यतीत कर रहा था। आज मनुष्य उस पाशविक वृत्ति को छोड़ चुका है
मानवीय गुण आ जाने के कारण पशुता का त्याग करना ही उचित माना जाता है
इसलिए मनुष्य नाखून को अपना हथियार नहीं बनाना चाहता है नाखून बढ़ते हैं इसका बढ़ना मनुष्य के शरीर की सहज वृत्ति है।
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