उत्तर:- इस पाठ के लेखक का नाम मंगल सिंह(सुमन) ।
2. मानव बनने के लिए हमें कौन-कौन से कार्य करने चाहिए?
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ किसलय से लिया गया है इस पाठ के लेखक का नाम शिव मंगल सिंह सुमन है मानव बनने के लिए हमें न तो किसी के समक्ष अपनी पीड़ा या दुबलता प्रकट करनी चाहिए और न किसी के आगे हाथ फैलाना या कुछ माँगना चाहिए। हमें स्वाभिमानपूर्ण आचरण से संसार में भूचाल (परिवर्तन) लाने का प्रयास करना चाहिए। सभी को स्वाभिमानी की भाँती जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए।
3.कवि के अनुसार व्यक्ति की सबसे बड़ी भूल क्या है?
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ किसलय से लिया गया है इस पाठ के लेखक का नाम शिव मंगल सिंह सुमन है उनका मानना है कि सबसे बड़ी भूल है कि किसी निर्भर होना, व्यक्ति को आप निर्भर होना चाहिए क्योंकि परमुखापेक्षी व्यक्ति को सदा अपमानित जीवन व्यतीत करना पड़ता है।
4.(क) अब अश्रु दिखलाओ नहीं,
अब हाथ फैलाओ नहीं,
उत्तर:-प्रस्तुत पाठ किसलय से लिया गया है इस पाठ के लेखक का नाम शिव मंगल सिंह सुमन है कभी किसी को न तो अपना दु:ख ,पीड़ा ,कष्ट ,या मजबूरी प्रकट करने की सलाह देता है ! और ना ही किसी को समक्ष गिड़गिड़ाने अथवा हाथ फैलाने की इजाजत देता है कवि मानव को हर परिस्थिति में स्वाभिमानी की भांति सारी मजबूरियों को सहने ते हुए शेर की भांति दहाड़ते रहने अर्थात स्वाभिमानपूर्ण वचनों से संसार को चकित करने का संदेश देता है कवि के अनुसार ऐसा काम वही कर सकता है जिसमें स्वाभिमान है अथवा मानवता के भाव में स्थित हो इसीलिए कवि मानव बनने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है।
(ख) अब हाथ मत अपने मलो,
जलना अगर ऐसे जलो,
अपने हृदय की भस्म से,
कर दो धरा को उर्वरा।
उत्तर:-प्रस्तुत पाठ किसलय से लिया गया है इस पाठ के लेखक का नाम शिव मंगल सिंह सुमन
कवि कहता है
कि समय बीत जाने पर अथवा अवसर खो देने पर पश्चाताप व दु:ख प्रकट करना व्यर्थ हैं समय रहते अपने अधिकार के प्रति सजग होना लाभदायक होता है जो व्यक्ति समय अनुकूल आचरण करता है अथवा अपने दायित्व का निर्वहन सही ढंग से करता है तो उसे समाज को एक नई शक्ति मिलती है इसीलिए कवि लोगों से आग्रह करता है कि तुम अपने कर्म आचरण से लोगों के मन की गांठ खोल दो ताकि वह भी सामान्य मानव बन सके।