उत्तर:- प्रस्तुत पाठ गोधूलि-2 से लिया गया हैं इस पाठ का नाम श्रम विभाजन जाति प्रथा है लेखक का नाम डॉक्टर भीमराव अंबेडकर है! लेखक का कहना है कि इस युग में भी जातिवाद के पोषको की कमी नहीं है जिसका स्वरूप है की जाति प्रथा श्रम विभाजन के साथ-साथ श्रमिक विभाजन का रूप ले रखा है जो अस्वाभाविक हैं।
2.जातिवाद के पोषक उसके पक्ष में क्या तर्क देते हैं?
उत्तर:-प्रस्तुत पाठ गोधूलि-2 से लिया गया हैं इस पाठ का नाम श्रम विभाजन जाति प्रथा है लेखक का नाम डॉक्टर भीमराव अंबेडकर है! जातिवाद के पोषक का तर्क हैं कि आधुनिक सभ्य समाज कार्य कुशलता के लिए श्रम विभाजन आवश्यक मानता है और जाति प्रथा श्रम विभाजन का दूसरा रूप है इसमें कोई बुराई नहीं ।
3.जातिवाद के पक्ष में दिए तर्क पर लेखक की प्रमुख आपत्तियां क्या हैं?
उत्तर:-प्रस्तुत पाठ गोधूलि-2 से लिया गया हैं इस पाठ का नाम श्रम विभाजन जाति प्रथा है लेखक का नाम डॉक्टर भीमराव अंबेडकर है! जातिवाद के पक्ष में दिए गए तर्कों पर लेखक की आपत्ति इस प्रकार हैं कि जाति प्रथा श्रम विभाजन के साथ-साथ श्रमिक विभाजन का रूप ले लिया है । किसी भी सभ्य समाज में श्रम विभाजन व्यवस्था श्रमिकों के विभिन्न वर्गों में और आस्वाभाविक विभाजन नहीं करता।
4.जाति भारतीय समाज में श्रम विभाजन का स्वाभाविक रूप क्यों नहीं कही जा सकती ?
उत्तर:-प्रस्तुत पाठ गोधूलि-2 से लिया गया हैं इस पाठ का नाम श्रम विभाजन जाति प्रथा है लेखक का नाम डॉक्टर भीमराव अंबेडकर है । भारतीय समाज में जातिवाद के आधार पर श्रम विभाजन अस्वाभाविक है क्योंकि जातिवाद श्रम विभाजन श्रमिकों की रूचि अथवा कार्य कुशलता के आधार पर नहीं होता बल्कि माता के गर्भ में ही श्रम विभाजन कर दिया जाता है जो विवशता ,अकुशलता और अरुचिपूर्ण होने के कारण गरीबी और अकर्मण्यता को बढ़ाने वाला हैं।
5.जाति प्रथा भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख और प्रत्यक्ष कारण कैसे बनी हुई हैं?
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ गोधूलि-2 से लिया गया हैं इस पाठ का नाम श्रम विभाजन जाति प्रथा है लेखक का नाम डॉक्टर भीमराव अंबेडकर है जाति प्रथा भारत में बेरोजगारी का प्रमुख और प्रत्यक्ष कारण है क्योंकि भारतीय समाज में श्रम विभाजन का आधार जाति है चाहे श्रमिक कार्य कुशल हो या नहीं हो उस कार्य में अरुचि हो या नहीं हो जन्मजात श्रम विभाजन कर उसे श्रम विशेष के लिए चुनाव कर लिया जाता है श्रमिकों में कार्य के प्रति अरुचि हो अथवा वह श्रमिक कार्य कुशल नहीं हो तो वह अपने काम को दिल या दिमाग से नहीं कर सकता। ऐसी हालत में बेरोजगार हो जाता हैं।बेरोजगारी को बढ़ावा मिलेगा।।
6.लेखक आज के उधोगों में गरीबी और उत्पीड़न से भी बड़ी समस्या किसे मानते हैं और क्यों ?
उत्तर:-प्रस्तुत पाठ गोधूलि-2 से लिया गया हैं इस पाठ का नाम श्रम विभाजन जाति प्रथा है लेखक का नाम डॉक्टर भीमराव अंबेडकर है आज के उद्योग में गरीबी और उत्पीड़न से भी बड़ी समस्या मानते हैं कि बहुत से लोग निर्धारित कार्य में (आरुचि ) के साथ केवल विवशतावश करते हैं। क्योंकि ऐसी स्थिति स्वभावतः मनुष्य को दुर्भावना से ग्रसित कर रहा है और टालू काम करने और कम काम करने के लिए प्रेरित करता है ऐसी स्थिति में जहां काम करने वालों का न दिल लगता हो न दिमाग ,कोई कुशलता कैसे प्राप्त की जा सकती है।
7.लेखक ने पाठ में किन प्रमुख पहलुओं से जाति प्रथा को एक हानिकारक प्रथा के रूप में दिखाया हैं?
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ गोधूलि-2 से लिया गया हैं इस पाठ का नाम श्रम विभाजन जाति प्रथा है लेखक का नाम डॉक्टर भीमराव अंबेडकर है विविध पहलुओं से जाति प्रथा को हानिकारक प्रथा के रूप में दिखाया है निम्लिखित है अस्वाभाविक, श्रम विभाजन , बढ़ती ,बेरोजगारी ,अरुचि और विवशता में श्रम का चुनाव गतिशील एवं आदर्श समाज का तथा वास्त्विक लोकतंत्र का स्वरूप आदि।
8.सच्चे लोकतंत्र की स्थापना के लिए लेखक ने किन विशेषताओ को आवश्यक माना हैं?
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ गोधूलि-2 से लिया गया हैं इस पाठ का नाम श्रम विभाजन जाति प्रथा है लेखक का नाम डॉक्टर भीमराव अंबेडकर है सच्चे लोकतंत्र की स्थापना के लिए जिन विशेषताओं को आवश्यक माना है वह बहुविधि हितों में सबका भाग समान होना चाहिए । सबको उसकी रक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए । सामाजिक जीवन में आबाध संपर्क के अनेक साधन व अवसर उपलब्ध रहने चाहिए तात्पर्य है । कि दूध पानी के मिश्रण की तरह भाईचारे का वास्तविक रूप है और उसी का दूसरा नाम लोकतंत्र है लोकतंत्र केवल शासन की एक पद्धति नहीं बल्कि लोकतंत्र मूलतः सामूहिक जीव चर्या समाज में सम्मिलित अनुभव के आदान-प्रदान का नाम है इनमें यह आवश्यक है कि अपने साथियों के प्रति श्रद्धा व सम्मान का भाव हो