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हमारी सोच

आज की परिवेश में  हम जैसा  देखते है वह हमारी सोच, विचार, भवना, व्यवहार, में जुड़ता- जुड़ता जाता हैं! आज के परिवेश उन तथ्यों पर विचार करने को  मजबूर किया जाता है  हमारी भावनाओं में नेगेटिव सोच अधिक आती है हम अगर अच्छा सोचते हैं तो  भी आपके साथ अच्छा हो या नहीं आप देखते , आप अपने लक्ष्य को नहीं पा रहे हैं तो  नेगेटिव विचार आते है  तो हमें अपनी भावना बदलनी होगी अनेक बातों की एक बात हमारी सोच कार्य क्षमता को प्रभावित करती है अगर हम दिन भर नकारात्मक बात सोचते हैं तो हमारी सोच भी नकारात्मक हो जाती जीवन में सफल होना है तो हमें सकारात्मक सोच तथा बहस बाजी से बचना होगा हमारी सोच के दायरे को भी बढ़ाना चाहिए अगर आप सोचते हैं कि यह काम को कर सकते हैं तो आप कर सकते हैं लेकिन सिर्फ सोचने रहने से नहीं हो सकता, फिल्म थ्री इडियट्स में आमिर खान को देखा होगा वह ऑल इज वेल ऑल इज वेल बोलने का मकसद तो हमारी सामने आने वाली परेशानियों से लड़ने की है और एक रचना मैथिलीशरण गुप्त की भी है 
नर हो न निराश करो मन को
 कुछ काम करो कुछ काम करो 
हमारी सोच इससे भी प्रभावित होती है!
New education point.